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ग़ज़ल : बरगदों से जियादा घना कौन है?

बहर : २१२ २१२ २१२ २१२

बरगदों से जियादा घना कौन है

किंतु इनके तले उग सका कौन है

 

मीन का तड़फड़ाना सभी देखते

झील का काँपना देखता कौन है

 

घर के बदले मिले खूबसूरत मकाँ

छोड़ता फिर जहाँ में भला कौन है

 

लाख हारा हूँ तब दिल की बेगम मिली

आओ देखूँ के अब हारता कौन है

 

प्रश्न इतना हसीं हो अगर सामने

तो फिर उत्तर में नो कर सका कौन है

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Comment

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Comment by वीनस केसरी on December 2, 2012 at 11:59pm

सहज, सरल, संस्कारित और सुगठित गज़ल के लिए विशेष बधाई स्वीकारें


तो फिर उत्तर में नो कर सका कौन है... भाई हासिले ग़ज़ल है ,,,, इस के लिए विशेष बधाई



भाई मेरी समझ का फेर है कि आख़िरी शेर का कोई अर्थ नहीं निकाल सका
अगर भाव बता दें तो मैं भी लुत्फ़ उठा सकूं


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Comment by अरुण कुमार निगम on December 2, 2012 at 10:51pm

आदरणीय धर्मेंद्र जी, गज़ल में गहरी गहरी बात कह गये-

मीन का तड़फड़ाना सभी देखते

झील का काँपना देखता कौन है

वाह, क्या बात है.

Comment by UMASHANKER MISHRA on December 2, 2012 at 10:38pm

आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार जी इस उम्दा गजल के उम्दा शेरों पर वाह वाह है 

गजल की गहराई नापना कठिन है हर शेर के प्रश्न शेर की जान है 

ह्रदय से बधाई 

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