For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मित्रता दिवस को समर्पित छह दोहे

सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार
यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार

मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध
तेरी मेरी मित्रता  स्नेहसिक्त सम्बन्ध

मित्र सरीखा कौन है, इस दुनिया में मर्द
बाँट सके जो दर्द को बन कर के हमदर्द

मीत बनो तो यूँ बनो, जैसे शिव और राम
इक दूजे का रात दिन, जपे निरन्तर नाम

मेरी हर शुभकामना, फले तुझे ऐ यार
यश धन बल आरोग्य से, दमके घर संसार

चाहे दुःख का रुदन हो, चाहे सुख के गीत
रहना मेरे साथ में,  हर दम मेरे मीत

-अलबेला खत्री







Views: 29604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2012 at 7:26am

मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध
तेरी मेरी मित्रता स्नेहसिक्त सम्बन्ध .. .

आपकी मंगल-कामनाओं के लिये हृदय से आभारी हूँ, आद. अलबेलाजी.

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 7:17am

आदरणीय सौरभ जी,
आप जैसे धीर और गम्भीर पुरूष तो समग्र जगत  की गांठें खोल देने का सामर्थ्य रखते हैं भाईजी,  आपके जीवन में कोई भी दुविधा  नहीं टिक सकती, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है . परमपिता  अपने लाड़ले  पुत्रों को कभी भी दुविधा  में नहीं रखता .


आपके  आरोग्य एवं सतत प्रवाहमान  सृजन सत्कर्म के लिए मेरी  विनम्र  मंगल कामनाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2012 at 7:09am

सादर, आदरणीय अलबेलाजी.

इधर कुछ दिनों से (हफ़्ते भर अधिक हो गये) मैं अटपटाया हुआ हूँ, मित्रवर.  अब एक-एक करके गिरह खुल रहे हैं, साँस में साँस आ पा रही है.

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 6:57am

सादर सुप्रभात श्रद्धेय सौरभ जी,
आपके उदार व्यक्तित्व की झलक आपके शब्दों में सदैव मिलती है.  किसी को परखने,   प्रोत्साहित करने एवं प्रेमपूर्वक  परिष्कृत  करने की कला  आपश्री में  कूट कूट कर भरी है परमात्मा ने.......आप धन्य हैं महाप्रभु !

आपके शब्दों ने मेरा आज का दिन सुधार दिया
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2012 at 6:45am

सुप्रभात, आदरणीय अलबेलाजी. देखिये हत्-भाग्य कि मैं इतने मनोहारी दोहा छंदों से चूक गया था. आपका हर दोहा दैनिक जीवन का हिस्सा बन जाने की कुव्वत रखता है.

सादर

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 6:17am

धन्यवाद  श्री आशीष जी
सादर

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 6:08am

हाय हाय हाय हाय......
वाह उमाशंकर जी वाह !
कित्ता सुन्दर गुलदस्ता भेजा आपने ........वाह ! आनंद आगया
आपके शब्द और आपकी भेंट दोनों ही मेरे लिए  अनमोल हैं
___आपके इस मोहब्बतनामे  को मेरा दिली  सलाम !
__जय हिंद !

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 6:05am

आपका बहुत बहुत धन्यवाद सीमा जी......
सादर

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 6:04am

बहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी.......

Comment by Albela Khatri on August 9, 2012 at 5:59am

आदरणीय भ्रमर जी.......सादर प्रणाम
आपके शब्दों ने बड़ा सुख दिया
__आपको हार्दिक धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service