For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रक्षा-बन्धन के दोहे........


सभी भाइयों और सभी बहनों को  अलबेला खत्री  की ओर से राखी के त्यौहार पर 

लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !


अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद

आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी  डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर

राखी के त्यौहार का,  आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान

गदगद हैं  माता-पिता, बच्चों में उत्साह  
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह

राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर

छोटी बहना बोलती,  तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल

बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन 

प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर

-अलबेला खत्री

Views: 2455

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on August 4, 2012 at 11:40pm

शुक्रिया अशोक कुमार रक्ताले साहेब,
बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2012 at 11:16pm

छोटी बहना बोलती,  तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
वाह! अलबेला साहब क्या खूब दोहे लिखे हैं. बहुत ही मनभावन. हार्दिक बधाई.

Comment by Albela Khatri on August 4, 2012 at 9:00pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ सूर्या बाली सूरज जी,
आपके शब्दों में निहित ऊर्जा का संचार मेरे मन मस्तिष्क में हो रहा है
___अभी एक अल्बम बनाने में व्यस्त हूँ .....आशा है बहुत  ही शानदार काम हो पायेगा

सदैव स्नेह  बनाए रखें
सादर

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 4, 2012 at 12:49am

अलबेला भाई आपको भी रक्षा बंधन की बहुत सारी शुभकामनायें ! बहुर ही समसामयिक और सुंदर दोहों से इस मंच को सज़ा दिया है आपने। पूरा वातावरण ही राखी के त्योहार में सरोबोर हो गया है।आपको इस सुंदर कृति पर बहुत बहुत मुबारकबाद   !!

Comment by Albela Khatri on August 3, 2012 at 11:41pm

धन्यवाद रेखा जी.......

Comment by Rekha Joshi on August 3, 2012 at 7:10pm

अलबेला जी 

बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान 
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन  ,रक्षाबंधन पर अति सुंदर दोहे ,इस पर्व पर आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 
Comment by Albela Khatri on August 3, 2012 at 11:33am

धन्यवाद अरुण जी.........आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 3, 2012 at 11:31am

आदरणीय अलबेला जी आपका ये दोहा सीधे दिल में उतर गया , बधाई

Comment by Albela Khatri on August 3, 2012 at 8:43am

आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, विनम्र प्रणाम
भरतपुर तो लुटना ही था भाई जी, खानदानी डाकू  जो आये हुए हैं..................हा हा हा

आपकी इस  स्नेहसिक्त  एफ़ आई आर को बाँच कर तो डाकू और ज़्यादा  उन्माद में आजायेंगे...हा हा हा फिर भरतपुर बार बार लुटेगा

___आपकी मोहब्बत  और आपका प्रेम  मन में  आत्मीयता  की सुगन्ध भर रहे हैं ...आपको  सादर सादर आभार

Comment by satish mapatpuri on August 3, 2012 at 2:31am

छोटी बहना बोलती,  तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल

भरतपुर लुट गया आज मेरे भईया .... आपने तो हम सबका दिल .. दिमाग सब  कुछ लुट लिया .... आपके इस अंदाज़ को ख़ाकसार का सलामे मोहब्बत .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service