सब रह जाएगा
कहीं किडनी फेल कहीं हार्ट फेल
कुदरत के हैं यह अजीब खेल
कर्म किए हैं तूने जैसे
वैसी ही अब सज़ा तू झेल
भूल गया था तू औकात
कुछ भी तुझको रहा न याद
बहुत हँसा अब रोएगा तू
कौन सुने तेरी फरियाद
वोह ऊपर बैठा सब देखे है
कर्मों के ही सब लेखे हैं
इंसाफ़ करेगा वोह तो ज़रूर
मिटा के रहेगा तेरा गरूर
जीवन में चाहे कुछ भी करना
किसी के हक से घर न भरना
धन दौलत यहीं रह जाएगा
अपनी हस्ती पे गुमाँ न करना
दीपक 'कुल्लुवी'
13/07/12
9350078399
Comment
shukriya bharamar ji ,albela ji
बहुत हँसा अब रोएगा तू
कौन सुने तेरी फरियाद
वोह ऊपर बैठा सब देखे है
कर्मों के ही सब लेखे हैं
इंसाफ़ करेगा वोह तो ज़रूर
मिटा के रहेगा तेरा गरूर
प्रिय दीपक जी सुन्दर सन्देश ...प्यारी रचना ..गुरुर टूटना बहुत जरुरी भी होता है
क्या कहने दीपक कुल्लुवी जी......
बहुत सुन्दर रचना ........
बधाई !
शुक्रिया पटेल जी,श्रीवास्तव जी ........
मेरे गम से न रख रिश्ता
मगर अपना मुझे दे दे
अपने दर्द के लम्हे
हमारे नाम तू कर दे
.................
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी '
वाह वाह आदरणीय दीपक जी
कम शब्दों में सुन्दर बातें कह डालीं हैं आपने
नमन सहित बधाई आपको इस लेखन के लिए
वाह वाह वाह ........इतनी छोटी से रचना में इतना सब कुछ कह डाला आपने ........बधाई है बधाई ......
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