For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखो
तूफ़ान उठ रहा है
सागर मचल रहा है
लहरें उठ रही हैं
आसमान छू लेने को
चल रहा अपनी धुन में
दुनिया से बेखबर
स्वतंत्र
बाधाओं को लांघते
चाहत है उसे
बनाने की एक पहचान
खुद की पहचान
वो स्वयं सूर्य है
चन्द्र भी है
उसका विस्तार
धरती भी है
आसमान भी है
वो क्षितज भी है

देखो उसे
कहीं ये सच में न निकल जाए
हवाओं से आगे

तुम्हारे आस्तित्व को मिटा के
स्वयं की पहचान बनाते
देखो उसे

बिछाओ जाल
जात का पात
मंदिरों मस्जिदों को
फेंको पासे
दिवा स्वप्नों के

जाने न दो उसे हवाओं से आगे
विफलता के काले बादलों से डराओ उसे
देखो वो जा रहा है
सीमाओं का पाठ पढाओ उसे
दीवार बनाओ
विस्तार को रोक लो

देखो अगर वो निकल गया
तो कौन कहेगा हमें स्वयंभू
हम हैं स्वयंभू
जन्मजात
सारे अधिकार हमें हैं
फिर कौन पूछेगा हमें
रोको इसे
रोक लो
उठते तूफ़ान को
इस भूचाल को
रोक लो
इन उठती लहरों को विराम दो
दिखाओ उसे
गुलामी की तस्वीरें
वो लाठी चार्ज
वो दहशत गर्दी
वो गुंडागर्दी
आतंकवाद
नक्शल्वाद
ठंडा कर दो ये जूनून
रोक लो
उसे
वरना सिंघासन छोड़ना होगा
सबको
हम पूजित देवों को
ये युवा है
रोक लो इसके प्रवाह को
रोक लो रोक लो
रोक सको तो रोक लो
ये युवा है ये युवा है
रक्त के उबाल को रोक लो
ये युवा है

संदीप पटेल "दीप"

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:02pm

सदीप जी

रोक लो इसके प्रवाह को 
रोक लो रोक लो 
रोक सको तो रोक लो 
ये युवा है ये युवा है 
रक्त के उबाल को रोक लो 
ये युवा है ,इस रक्त में युवा का उबाल है ,जोश है ,इस प्रवाह को सही दिशा की जरूरत है फिर देखो यह कहाँ पहुंचता है ,जोश से भरी रचना ,हार्दिक बधाई 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2012 at 10:33am

वाकई रक्त प्रवाहित करती हुई रचना जोश की कलम चली 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2012 at 10:20am

रोक सको तो रोक लो, ये युवा है ये युवा है, रक्त के उबाल को रोक लो 
ये युवा है, वाह भाई  संदीप पटेल "दीप"जी अच्छी रचना आखिर हम भी तो युवा है 

लगता है आज जोश भरे दिन से अच्छी शुरुआत होनी है तभी तो अम्बरीश जी के 

जिन्दी का गीत और अब आपका रक्त के उबल को रोकने का गीत पढने का मौका मिला है 

Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 10:52pm

बहुत सुंदर रचना बहुत बधाई आपको

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 12, 2012 at 10:29pm

रोक लो 
उसे 
वरना सिंघासन छोड़ना होगा 
सबको 
हम पूजित देवों को 
ये युवा है 
रोक लो इसके प्रवाह को  

संदीप जी ये कहाँ रोके रुकता है किसके बूते की बात है बस एक बार जाग कर कदम बढ़ा ले बस ....जोश और जूनून बढाती रचना 
शब्द देखें कृपया ....सिंहासन , नक्सलवाद , अस्तित्व , क्षितिज आदि 
 ...बधाई 
भ्रमर ५  .
Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 9:46pm

बहुत खूब कविता ........
झकझोर देने वाला  शिल्प और  आग्नेय शब्दावली........
जय हो  आपकी

जाने न दो उसे हवाओं से आगे
विफलता के काले बादलों से डराओ उसे
देखो वो जा रहा है
सीमाओं का पाठ पढाओ उसे
दीवार बनाओ
विस्तार को रोक लो

___वाह वाह संदीप पटेल  जी...बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
9 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service