For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्य

कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।
लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन  में  दृढ़  विश्वास ।।

करते  हैं  जो जीत से, लक्ष्यों का शृंगार ।
उनको जीवन में कभी, हार नहीं स्वीकार ।।

आज किया कल फिर करें, लक्ष्य हेतु संघर्ष ।
प्रतिफल है प्रयासों का , लक्ष्य प्राप्ति पर हर्ष ।।

देता है संघर्ष ही, जीवन को उत्कर्ष ।
आज नहीं तो जीत का, कल छलकेगा  हर्ष ।।

सच्ची कोशिश हो अगर, मंज़िल आती पास ।
मिल जाता संघर्ष को, एक नया विश्वास ।।

सोच समझ कर जो करे, लक्ष्यों का संधान ।
जीवित फिर  उसकी रहे, सदियों तक पहचान ।।

मत छोड़ो संघर्ष को, शंकित हो जब जीत ।
कठिन लक्ष्य को भेदना , करे जीत निर्णीत ।।

सुशील सरना / 30-4-25

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 68

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 21, 2025 at 1:58pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट पर पाबन्दी लग गई है सो देखते हैं फिर कब मिलन होता है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2025 at 10:05pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on May 5, 2025 at 2:04pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा भविष्य में आपके दिशा निर्देशों का पालन हो । हार्दिक आभार आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 5, 2025 at 12:02am

कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो सुगढ़ प्रयास  
लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन  में  दृढ़  विश्वास ।।    लक्ष्य-भेद  के  मंत्र  पर,  रखना  दृढ़-विश्वास 

 

करते  हैं  जो जीत से, लक्ष्यों का शृंगार ।            करते जो मनुहार से, पथ-साधन को प्यार 
उनको जीवन में कभी, हार नहीं स्वीकार ।।       उनका जीवन है सहज, जीत मिले या हार  

 

आज किया कल फिर करें, लक्ष्य हेतु संघर्ष ।      
प्रतिफल है प्रयासों का , लक्ष्य प्राप्ति पर हर्ष ।।   छंद के मूलभूत विधान का परिपालन आवश्यक है

 

देता है संघर्ष ही, जीवन को उत्कर्ष ।                 
आज नहीं तो जीत का, कल छलकेगा  हर्ष ।।     आज नहीं तो कल सही, होगा विजयी हर्ष 

 

सच्ची कोशिश हो अगर, मंज़िल आती पास ।       
मिल जाता संघर्ष को, एक नया विश्वास ।।           सही बात 

 

सोच समझ कर जो करे, लक्ष्यों का संधान ।         
जीवित फिर उसकी रहे, सदियों तक पहचान ।।   वाह .. 

 

मत छोड़ो संघर्ष को, शंकित हो जब जीत ।         
कठिन लक्ष्य को भेदना , करे जीत निर्णीत ।।

आदरणीय सुशील सरना जी, आपके प्रयास पर हमने अपनी समझ से कुछ बिन्दु साझा किये हैं. यदि उचित लगे तो उन पर ध्यान दें. मैं पुनः निवेदन करूँगा, जो आपके ही एक पोस्ट पर कुछ दिनों पूर्व किया था. कि, सभी प्रयास प्रकाशन हेतु मुफीद नहीं होते. बल्कि आपके प्रत्येक छंद प्रकाशन पूर्व आवश्यक समय और मनन-मंथन की अपेक्षा करते हैं 

शुभातिशुभ

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2025 at 6:16pm

आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव ।सहमत एवं संशोधित सर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 1, 2025 at 10:18pm

   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी तीसरे दोहे का तीसरा चरण एक बार पुनः देख लें.  एक सुझाव यह है कि पाँचवे दोहे के तृतीय चरण  'दे जाता संघर्ष को' / मिल जाता संघर्ष को...कर देखें. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service