For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम  कह   देती   एक  बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
मिट जाती जन्मों की प्यास
छा   जाता  मन  में  उजास।
खो  जाते   सकल   संत्रास
पूरित  होती  स्वर्णिम आस।।
*
पीड़ा  हो  जाती तार - तार
तुम   कह   देती  एक  बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
पोंछ देती तुम नयन गीले
पड़ जाते सब आबंध ढीले।
हो जोते हरित, सब पर्ण पीले
मृत्यु कहती , जा और जी ले।।
*
मन  से   लेती   जो  पुकार
तुम   कह   देती  एक  बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
भाल पर चाहे अनगिन दाग
पथ पर  बिछी  आग - आग
लेकर कितने ही भाव पराग
अधर  गाते  फिर  प्रीत राग।।
*
पलकें  लेती  हर पथ बुहार
तुम   कह   देती  एक  बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 269

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2022 at 9:14am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2022 at 9:13am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2022 at 9:11am

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गीत पर आपकी उपस्थिति और अनुमोदन से उत्साह बढ़ा है। स्नेह के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on September 23, 2022 at 7:32pm

ख़जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर जी आदाब, अच्चा गीत रचा आपने, बधाई स्वीकार करें I 

Comment by Chetan Prakash on September 23, 2022 at 9:34am
  1. नमस्कार, 'मुसाफ़िर' साहब गीत का अच्छा प्रयास किया आपने! मैं आपका पहला गीत देख रहा हूँ, बधाई  ! हाँ, लेकिन गीत किसी मीटर / तय प्रबंधन पर ही रचे जाते है, नवगीत की बात यहाँ मैं नहीं कर रहा हूँ! आपके स्थायी में मात्राओं की संख्या कुछ और है, जबकि अन्तरों में मात्रा संख्या बदल गयी है, देखिएगा! अत : लय भी बाधित हुईं हैं, यथा, " पड़ जाते सब आबंध ढीले"   ! सादर! 
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 22, 2022 at 10:44pm

 सच है जीवन में उल्लास हो तो मृत्यु भय भी दूर-दूर भागता है. उसी उल्लास को पाने की चाहत में सुन्दर गीत रचा है आपने आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"उपयोगी सलाह के लिए आभार आदरणीय नीलेश जी। महत्वपूर्ण बातें संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद। एक शेर…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ..मैं निजि रूप में दर्पण जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्द को…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आ. अजय जी,अच्छे भावों से सजी हुई ग़ज़ल हुई है लेकिन दो -तीन बातें संज्ञान में लाने का प्रयत्न कर रहा…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service