For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अगर राष्ट्रपिता के नाम से महात्मा गांधी को याद किया जाता है वही उजास की लकीर बिखेरने। वाले नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में शास्त्री जी को याद किया जाता है। संपूर्ण भारतीयता का उदाहरण शास्त्री जी के विषय में राम मनोहर लोहिया जी ने कहा था कि भारतीयता को जो तीन कसौटियाँ भाषा भूसा और भवन बांधी थी, शास्त्री जी उसका स्पष्ट प्रतिबिंब हैं। सादगी प्रिय शास्त्री जी करूणामयी अग्रगामी सोच वाले ऐसे दार्शनिक प्रधानमंत्री थे जिनके संस्कार व नैतिकता व्यक्तिवाद और परिवारवाद से परे थी। अपने पद व प्रतिष्ठा से परिवार, नाते-रिशतेदारों को लाभान्वित करने की कभी कोशिश नहीं की। आज के समय की स्वार्थी राजनीति के लिए उदाहरण पेश करते शास्त्री जी जीवन पर्यंत अपने गुरु नरेन्द्रजी के आदर्शों पर चले।अभावग्रस्त संघर्षमय जीवन होने पर भी अपनी ईमानदारी और नैतिक मूल्यों को नहीं छोड़ा। सियासत से ज्यादा नैतिकता सर्वोपरि थी।
सादगीप्रिय शास्त्री जी लोकतन्त्र के लिए गौरव बिन्दु नैतिक मूल्यों के किवदन्ती बने शास्त्री जी आम से खास बने। उनका व्यक्तित्व सदा उज्ज्वल ,दैदीप्यवान पारदर्शी रहा। रेलमंत्री रहते हुये रेल दुर्घटना होने पर अपने को जिम्मेदार ठहराकर, इस्तीफा एते हुये कहा था कि शायद मेरे लंबाई में छोटे होने और नम्र होने की वजह से लोगोंको लगता हैं कि मैं बहुत दृढ़ नही हो पा रहा हूँ। हालांकि शारीरिक रूप से मैं मजबूत नहीं लेकिन मुझे लगता हैं कि मैं आंतरिक रूप से इतना कमजोर भी नहीं हूँ। एक समय में उनके आदर्शों और ईमानदारी की नेहरूजी ने संसद में प्रशंसा की थी।
सोलह वर्ष की उम्र में देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। युवाओं में नैतिक चरित्र पर बल देते हुये कहा था कि मैं अपने जवानों से खुद को अनुशासन में रखने और राष्ट्र हित एकता और उन्नति के लिए काम करने की अपील करता हूँ। विनम्र, दृढ़, सहिष्णु और जवरदस्त ऊर्जावान दूरदर्शी प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में कंडक्टर के रूप में नियुक्त करने की अपील की। जय जवान,जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री प्रेरक व्यक्तित्व के धनी रहे। कठोर नैतिकता जिसे व्यावहारिक जीवन में ढाला। सामाजिक रूढ़िवादियों के घोर विरोधी थे। दहेज के नाम पर अपनी शादी में केवल चरखा ही लिया।
संघर्ष को समर्पित आदर्शों के ज्वलंत प्रतीक आदर्शों को कर्म में परिणित करना ही कर्मयोग हैं।

स्वरचित व अप्रकाशित हैं। 

बबीता गुप्ता 

Views: 368

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 10, 2021 at 8:33am

आ. बबीता बहन सादर अभिवादन। कर्मठ सज्जन एवं श्रेष्ठ नेता शास्त्री जी पर बेहतरीन लिखा है । हार्दिक बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 7, 2021 at 12:00pm

लाजवाब प्रस्तुति। बेहद मेहनती, सत्य वादी, देश भक्त, शांति प्रिय, सही मायने मैं भारत के सपूत।नाम के अनुरूप काम।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2021 at 9:10am

आदरणीय बबीता गुप्ता जी , बहुत ही उत्तम एवं सराहनीय लेख , बधाई। श्री लाल बहादुर शास्त्री जी निसंदेह एक योग्य , कुशल एवं अपने दायित्यों के समर्पित , एक पूर्ण रूप से ईमानदार राजनेता एवं प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने वाले अपने इन्हीं गुणों के कारण जाने वाले राजनेता रहे हैं। उनका नाम उनके किसी भी कार्य में किसी प्रकार के विवाद में कभी नहीं आया। वे निसंदेह एक अद्वितीय राजनीतिज्ञ रहें हैं। देश को उनके जैसे नेताओं की बड़ी संख्या में आवश्यकता है। उनको सादर स्मरण। आपको इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Loading… Loading feed

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service