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दो आशीष नया हो भारत - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२२


दो आशीष  नया हो भारत
जग में और बड़ा हो भारत।१।
*
आयु बढ़े नित जितनी इसकी
उतना  और  युवा  हो  भारत।२।
*
ज्ञाता हो विज्ञान का लेकिन
साथ ही वेद पढ़ा हो भारत।३।
*
दुख  के  नाले  सब  सूखे  हों
सुख का एक किला हो भारत।४।
*
जिनके घर ढब बन्द पड़े हैं
कहते और खुला हो भारत।५।
*
उनको सबक सिखाना वीरों
जिनकी चाह डरा हो भारत।६।
*
सीमाओं का द्वन्द मिटाकर
दोनों ओर लिखा हो भारत।७।
*
करना अब विश्वास न उस पर
जिस ने खूब  छला  हो भारत।८।
*
जो माँगे अधिकार से माँगे
देने सिर्फ झुका हो भारत।९।
*
ध्येय दमन कब इसने रक्खा
करने शान्ति उठा हो भारत।१०।
*
ओजस्वी नायक हो 'मुुुसाफिर'
पलपल ओज भरा हो भारत।११।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by Samar kabeer on January 31, 2021 at 12:03pm

अब ठीक है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2021 at 8:53am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति के लिए आभार । मेरा मन्तव्य आपकी बात को नकारना नहींं था । मैंने केवल हिन्दी में स्वीकार्यता की बात कही है। आपके कथनानुसार मिसरा बदलने का प्रयास किया है । कितना सार्थक है देखिएगा।

दुख के शूल सभी सूखे हों
सुख का फूल खिला हो भारत

Comment by Samar kabeer on January 30, 2021 at 4:10pm

हिन्दी क्या,बहुत से उर्दू वाले भी इसे क़िला ही लिखते और बोलते हैं,और ये वही लोग हैं जो भाषा का ज्ञान नहीं रखते,मेरा काम मंच को सहीह जानकारी देना है,बाक़ी जैसा आपको उचित लगे करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 3:57pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आभार।

हिन्दी में किला ही प्रचलन में है , उसी हिसाब से यहाँ लिया है । सादर..

Comment by Samar kabeer on January 30, 2021 at 3:33pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'सुख का एक किला हो भारत'

इस शैर में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं है,सहीह शब्द है "क़िल'अ'' 21 देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 1:32pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 1:31pm

आ. भाई क्रिष मिश्रा जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 30, 2021 at 11:28am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, वाह, क्या ख़ूब शानदार ग़ज़ल हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 7:23pm

आ. लक्ष्मण सर, बहुत ही सरस सहज और सुखद ग़ज़ल हुई है तहे दिल से मुबारकबाद कबूल करें।

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