For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अछूतों सा - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२


अछूतों से भी मत करना कभी व्यवहार अछूतों सा
समय तुम को न इस से दे कहीं दुत्कार अछूतों सा।१।
**
कहोगे भार जब उनको तुम्हें कोसेगा अन्तस नित
कहोगे तब स्वयम् को ही यहाँ पर भार अछूतों सा।२।
**
करोना  वैसा  ही  लाया  करें  व्यवहार  जैसा  हम
उसी का भोगता अब फल लगे सन्सार अछूतों सा।३।
**
पता पाओगे  पीड़ा  का  उन्हें  जो  नित्य  डसती है
कहीं पाओगे जग में जब कभी सत्कार अछूतों सा।४।
**
सभी के वास्ते क्या क्या मलिन वो काम करते नित
नहीं उस पर भी करते क्यों कहो आभार अछूतों सा।५।
**
बुरा देखा न उनका  पर  करे कोई तो कहते क्यों
रखे  है  देखिए  कैसा  बुरा  आचार  अछूतों  सा।६।
**

( रचना : ३१ जुलाई २०२० )
मौलिक-अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
*( गुमनाम पिथौरागढ़ी जी की भूमि पर  कुछ बदलाव के साथ )

Views: 557

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 9, 2020 at 4:04am

आ. भाई  बृजेश जी सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए आभार ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 8, 2020 at 3:01pm

आदरणीय धामी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है परंतु मतले का उला खटक रहा है...

"वगरना वक़्त दे देगा तुम्हे दुत्कार अछूतों सा" कैसा रहेगा? या आप ही कुछ और विचारें..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 6, 2020 at 4:39pm

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । आपको गजल अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है । इस स्नेह के लिए आभार।

आशा है भविष्य में भी स्नेह व मार्गदर्शन की क्रिपा बनाए रखेंगे ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 6, 2020 at 4:35pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 6, 2020 at 1:54pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है, इस पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 6, 2020 at 11:16am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन गज़ल।

अछूतों से भी मत करना कभी व्यवहार अछूतों सा
समय तुम को न इस से दे कहीं दुत्कार अछूतों सा।१।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 6, 2020 at 7:22am

आ. भाई आशीष जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by आशीष यादव on August 5, 2020 at 1:37pm

बहुत बढ़िया गजल बनी है। मुबारकबाद स्वीकार हो।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 5, 2020 at 11:56am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by सालिक गणवीर on August 5, 2020 at 11:41am

भाई लक्षण धामी 'मुसाफिर'
सादर अभिवादन
 अलिफ वस्ल का शानदार इस्तेमाल कर आपने बढ़िया ग़ज़ल कही है.बधाइयाँँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service