उत्कर्षा का सारा शरीर थककर चूर हो चुका था कब नींद के आगोश में चली गयी पता ही नहीं चला ।
"हे ईश्वर ये किस पाप की सजा दी है तूने ये जन्म देकर जहाँ दो घड़ी का चैन नहीं ।"
"ऐसा क्यों कहती हो ,सतत कर्मशीलता ही तो भरी है मैंने तुम्हारी पेशियों में . क्या गलत किया?"
"प्रभु ! मैं भी कोई मशीन तो नहीं हूँ की ये सतत परिश्रमशीलता.."
"जानता हूँ ये सब सोचकर ही मैंने तुम्हें अष्टभुजा का प्रतिक रूप दिया है।"
"अष्टभुजा??? या कि...सारा श्रेय तो ..किंतु .."
"किन्तु क्या , देखो ना तुम्हें किसी के सहारे की जरुरत कहाँ पडी बल्कि तुम तो मजबूती से ऊपर उठी हो ।"
ये कैसा मजाक है,है ईश्वर !"
"सच कहा रहा हूँ इन दिनों के कठिन परिस्थितियों में तुमने माली से लेकर थाली(भोजन ) तक , व्यवसाय से लेकर व्यस्थापन तक सभी काम बड़ी खूबी से निभा रही हो ।"
"हां !! सो तो है मगर .."
"अगर मगर कुछ नहीं बस ! अब अपना मूल्यांकन तुम्हें खुद करना है ।"
उगते सूर्य का कोमल लाल बिम्ब उसकी खिड़की से अंदर झांक रहा था उसकी रेशमी किरणों ने उसमें फिर से शक्ति का संचार कर दिया ।
अब उसे पीछे मुड़कर देखने कि आवश्यकता ना थी न ही सहारे की ।
मौलिक,अप्रकाशित व अप्रसारित
Comment
आ. नयना जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
मुहतरमा नयना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online