मापनी 2122 1212 22/112
गर कहो तो जनाब हो जाऊँ
तुम जो देखो वो ख़्वाब हो जाऊँ
रोज पढ़ने का गर करो वादा
प्रेम की मैं क़िताब हो जाऊँ
मुझको काँटों से डर नहीं लगता
चाहता हूँ गुलाब हो जाऊँ
गर ज़रूरत पड़े उजालों की
जल के ख़ुद आफ़ताब हो जाऊँ
डायरी में अगर मुझे लिख लो
ज़िंदगी का हिसाब हो जाऊँ
तुम मेरे वास्ते सवाल बनो
मैं सरल सा जवाब हो जाऊँ
जाने कब से यही तमन्ना है
इश्क़ में क़ामयाब हो जाऊँ
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय Samar kabeer जी सादर नमस्कार, जी कर दिया, आपकी हौसलाअफजाई का दिल का शुक्रिया
//गर कहो तो जनाब हो जाऊँ
तुम जो देखो वो ख़्वाब हो जाऊँ//
जी,ठीक है ।
अरकान भी एडिट कर दें ।
आदरणीय Samar kabeer जी सादर नमस्कार, आपकी तरमीम का मुझे हमेशा इंतज़ार रहता है, दिल से शुक्रिया आपका
मैंने इसमें कुछ और किया देखें शायद आपको पसंद आये
गर कहो तो जनाब हो जाऊँ
तुम जो देखो वो ख़्वाब हो जाऊँ
रोज पढ़ने का गर करो वादा
प्रेम की मैं क़िताब हो जाऊँ
मुझको काँटों से डर नहीं लगता
चाहता हूँ गुलाब हो जाऊँ
गर ज़रूरत पड़े उजालों की
जल के ख़ुद आफ़ताब हो जाऊँ
डायरी में अगर मुझे लिख लो
ज़िंदगी का हिसाब हो जाऊँ
तुम मेरे वास्ते सवाल बनो
मैं सरल सा जवाब हो जाऊँ
जाने कब से यही तमन्ना है
इश्क़ में क़ामयाब हो जाऊँ
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सादर नमस्कार, आपकी हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'तुम कहो तो जनाब हो जाऊँ
तुम पियो वो शराब हो जाऊँ'
मतले के दोनों मिसरों में 'तुम' शब्द खटक रहा है,ऊला में 'तुम' की जगह "गर" कर सकते हैं ।
अरकान इस तरह लिखें:-
2122 1212 22/112
बसन्त कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन। मतला मजेदार है। डायरी में मुझे लिख लो.... हरेक शेर में कुछ खास है। तरूणाई की बहार आ गयी ग़ज़ल पढ़कर। बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online