For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महसूस होता क्या उसे दर्द-ए-जिगर नहीं (६७ )

ग़ज़ल ( 221 2121 1221 212 )
महसूस होता क्या उसे दर्द-ए-जिगर नहीं
या दर्द मेरा कम है कि जो पुर-असर नहीं
**
महलों में रहने वाले ही क्या सिर्फ़ हैं बशर
फुटपाथ पर जो सो रहे वो क्या बशर नहीं
**
साक़ी सुबू उड़ेल दे है तिश्नगी बहुत 
ये प्यास दूर कर सके पैमाना-भर नहीं
**
इंसान सब्र रख ज़रा ग़म की भले है शब
किस रात की बता हुई अब तक सहर नहीं
**
या रब ग़रीब का हुआ जीना हराम है
ख़ामोश क्यों है क्या तुझे इसकी ख़बर नहीं
**
किरदार अब अवाम का इतना गिरा हुज़ूर
अहल-ए-हवस* की जिस्म से हटती नज़र नहीं 
**
जायज़ नहीं है आपका वादों को तोड़ना
जब तक सिवाय इसके बचे रहगुज़र नहीं
**
ऐसी पड़ेगी खू* मुझे सोचा कभी न था
बिन दीद के तेरे मेरी होगी गुज़र नहीं
**
गारा-ए-प्यार गर नहीं बुनियाद में 'तुरंत '
उसको मकाँ भले कहें होता है घर नहीं
**
गिरधारी सिंह 'तुरंत ' बीकानेरी |

(मौलिक एवं अप्रकाशित )


09 /03 /2020

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 11, 2020 at 8:48pm

मेरे कहे को मान देने और मोबाइल नम्बर देने के लिए आपका शुक्रिय: ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 11, 2020 at 6:51pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब , हालाँकि मजबूरी है क़ि मुझे ऑनलाइन लुग़त से ही अर्थ देखने पड़ते हैं , लेकिन जैसे जैसे आप जैसे जानकार सही बातें बताते हैं , मैं उनका भविष्य में हमेशा पालन करता हूँ | हाँ जानकारी के अभाव में तो गलतियां होना स्वाभाविक है | सादर नमन | मेरे मोबाईल नंबर हैं -9351206653 एवं 8209191812 

Comment by Samar kabeer on March 11, 2020 at 4:27pm

भाई, पहली बात ये कि आन लाइन शब्दकोष भरोसे लाइक़ नहीं होते,'गारा' और 'प्यार' दोनों ही शब्द हिन्दी भाषा के हैं,और सहीह शब्द "जाइज़"और "शाइर" ही है,मेरा काम सहीह जानकारी देना है,बाक़ी आपकी मर्ज़ी,और हाँ मैंने आपसे मोबाइल नम्बर देने का निवेदन किया था?

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 11, 2020 at 4:11pm

आदरणीय ,  Samar kabeer साहेब आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रिया |  गारा को उर्दू में भी  गारा ही कहते हैं और प्यार भी उर्दू का ही शब्द माना जाता है | मैंने गूगल में सर्च किया तो गारा को उर्दू शब्द ही बताया था | उसके बाद ही मैंने प्रयोग किया इज़ाफ़त में | फ़ारसी में शायद कुछ और अर्थ होगा | फिर भी मैंने आपकी बात को संज्ञान में लिया है | इसे सही करने की कोशिश करूंगा | जायज़ और जाइज़ दोनों लुग़त में हैं जैसे शायर और शाइर है , इ और य एक दूसरे की जगह काफी इस्तेमाल होते हैं और उर्दू न जानने वालों को थोड़ा असमंजस रहता है | 

Comment by Samar kabeer on March 11, 2020 at 7:24am

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, काफ़ी समय बाद पटल पर आपकी ग़ज़ल देख कर ख़ुशी हुई,कहाँ थे हुज़ूर?

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'जायज़ नहीं है आपका वादों को तोड़ना'

इस मिसरे में 'जायज़' को "जाइज़" कर लें ।

'गारा-ए-प्यार गर नहीं बुनियाद में 'तुरंत ''

इस मिसरे में इज़ाफ़त का इस्तेमाल उचित नहीं,क्योंकि 'गारा' और 'प्यार' दोनों हिन्दी भाषा के शब्द हैं ।

अगर उचित समझें तो अपना मोबाइल नम्बर देने का कष्ट करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service