For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(१)

मेरा दिल वो मेरी धड़कन,
उसपे कुरबां मेरा जीवन !

मेरी दौलत मेरी चाहत

ऐ सखी साजन ? न सखी भारत !

---------------------------------------

(२)

अंग अंग में मस्ती भर दे

आलिम को दीवाना कर दे

महका देता है वो तन मन 

ऐ सखी साजन ? न सखी यौवन  !

---------------------------------------

(३)

मिले न गर, दुनिया रुक जाए

मिले तो जियरा खूब जलाए ! 

हो कैसा भी - है अनमोल,

ऐ सखी साजन ? न सखी पट्रोल !

-------------------------------------------

(४)
कर गुज़रे जो दिल में ठाने,
नर नारी उसके दीवाने !
वो इतिहास का सुंदर पन्ना 
ऐ सखी साजन ? न सखी अन्ना !
----------------------------------------

 (५)

हरिक बेचैनी का सबब है,
उसे किसी की चिंता कब है ?
दुनिया भर के दर्द है देता
ऐ सखी साजन ? न सखी नेता !

---------------------------------------

 

Views: 1293

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kailash C Sharma on September 23, 2011 at 8:39pm

बहुत सुन्दर ...इस तरह की मुकरियां बचपन में पढीं थीं, आज फिर याद ताजा होगयी. समसामयिक समस्याओं से इसे जोडने का प्रयास बहुत अच्छा लगा..आभार 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 23, 2011 at 2:22pm

वीनस भाई, आपने मेरी इस अदना सी कोशिश को सराहा - दिल से धन्यवाद !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 23, 2011 at 2:21pm

भाई धर्मेद्र कुमार सिंह जी, आपकी प्रशंसा मेरे लिए बहुत मायने रखती है ! उत्साहवर्धन के लिए दिल से शुक्रिया ! 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 23, 2011 at 2:14pm

//ऐ सखी साजन ? न सखी पट्रोल !   अय-हय, अय-हय !!

इस सोच को मेरी विशेष बधाइयाँ. .. :-))//

 

अय हय हय हय हय !!! इतनी  मोहब्बत से लबरेज़ आपकी टिप्पणी के लिए !!!!

 

Comment by वीनस केसरी on September 23, 2011 at 2:20am

मैंने बहुत बहुत बहुत पहले कुछ कह मुकरियाँ अपने परिवार में किसी से सुनी थी, इक धुंधली सी याद भर बची है,, बहुत याद करने पर भी कोई याद नहीं आई |

 

योगराज जी,
खूब समझ आता है कि यह छंद पढ़ने/सुनने में जितना आनंदमयी है लिखने में उतनी ही कठिन और दुरूह है

इसे हम सभी से साझा करने के लिए बधाई व आभार

Comment by satish mapatpuri on September 22, 2011 at 7:51pm

सभी कह्मुकरी स्तरीय एवं बेहतरीन है. लुप्त प्राय होती इस साहित्य - विधा को सामने लाकर आपने एक महती कार्य किया है आदरणीय ........... लख - लख बधाई

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 22, 2011 at 3:22pm

बहुत बहुत बधाई योगराज जी, इतिहास रच रहा है ओबीओ, इसमें कोई संदेह नहीं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 22, 2011 at 1:45pm

 

ऐ सखी साजन ? न सखी पट्रोल !   अय-हय, अय-हय !!

इस सोच को मेरी विशेष बधाइयाँ. .. :-))

सादर.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 22, 2011 at 12:02pm

आदरणीय सौरभ भाई जी, मैंने इस विधा में बिना विषय को बोझिल किये आज की बात कहने का प्रयास किया है ! आपने मेरे प्रयास को मान दिया, आपका ह्रदय से आभारी हूँ !   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 22, 2011 at 11:52am

आदरणीय योगराजभाईसाहब, चूँकि हम अपने दौर के हिस्से हुआ करते हैं अतः, समसामयिक विषयों पर कुछ कहना सदा से कठिन हुआ करता है. कुछ भी कहा हुआ या तो सतहीपन और् भाषणबाजी की भेंट चढ़ जाता है या फिर, ’हम जानते हैं’ की दार्शनिकता इतनी हावी हो जाती है कि पढते ही ऊब होने लगती है. परन्तु, आपकी लेखिनी को सादर नमन कि ’कह-मुकरियों’ के शिल्प में आपने वर्त्तमान को मुखर किया है. देश, देश की समस्याओं आदि को आपने इन पाँच ’कह-मुकरियों’ में आपने की सफल कोशिश की है.

आभार.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service