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गणतंत्र हमारा-26जनवरी विशेष ग़ज़ल

22 22 22 22 22 22
वैविध्य से परिपूर्ण है गणतंत्र हमारा।
हम सब से ही सम्पूर्ण है गणतन्त्र हमारा।।

समता के अनुच्छेद के पालन बिना सुनो।
हर हाल में अपूर्ण है गणतन्त्र हमारा।।

अभिव्यक्ति का अधिकार सभी को है मित्रवर।
पर पहले महत्वपूर्ण है गणतन्त्र हमारा।।

धर्मों का यहाँ संगम अद्भुत है ये धरा।
समरसता से अभिपूर्ण है गणतन्त्र हमारा।।

संसार के क्षितिज पे दमकता नक्षत्र है।
आदित्य सा प्रतूर्ण है गणतन्त्र हमारा।।

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Comment by नाथ सोनांचली on January 25, 2017 at 1:42pm
आद0 पंकज मिश्र जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल, देश भक्ति से ओत प्रोत के लिए दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमाएँ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 24, 2017 at 9:33pm
आदरणीय सुशील सर सादर प्रणाम
Comment by Sushil Sarna on January 24, 2017 at 8:07pm

आदरणीय पंकज जी इस देशभक्ति से परिपूर्ण सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 24, 2017 at 2:24pm
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, जल्दबाजी से पीछा नहीं छूट रहा, आगे से लिखूँगा।।
Comment by Samar kabeer on January 24, 2017 at 2:14pm
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,अच्छी ग़ज़ल है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
आपने ग़ज़ल के साथ मौलिक व् अप्रकाशित नहीं लिखा ?

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