For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छप्पय छंद-रामबली गुप्ता

ज्योतिपुंज जगदीश! रहो नित ध्यान हमारे।
कलुष-द्वेष-दुर्भाव, हृदय-तम हर लो सारे।।
सत्य-स्नेह-सद्भाव, समर्पण का प्रभु! वर दो।
जला ज्ञान का दीप, प्रभा-शुचि हिय में भर दो।
दो बल-पौरुष-सद्बुद्धि हरि! मार्ग चुनेें सद्कर्म का।
हर जनजीवन के त्रास हम, फहरायें ध्वज धर्म का।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

रचनाकार-रामबली गुप्ता

शिल्प-प्रथम चार पद रोला छंद और अंतिम दो पद उल्लाला छंद के संयोग से छप्पय छंद की निष्पत्ति होती है।

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 14, 2018 at 3:52pm

आ. भाई रामबली जी, सुंदर कविता हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by रामबली गुप्ता on October 13, 2018 at 9:44pm

हृदय से धन्यवाद भाई सुरेन्द्रनाथ जी

Comment by रामबली गुप्ता on October 13, 2018 at 9:43pm

आद०भाई नरेंद्र चौहान जी सादर आभार

Comment by रामबली गुप्ता on October 13, 2018 at 9:43pm

सादर धन्यवाद आद०डॉ छोटेलाल जी

Comment by रामबली गुप्ता on October 13, 2018 at 9:42pm

आद० बसन्त भाई जी सादर धन्यवाद

Comment by रामबली गुप्ता on October 13, 2018 at 9:41pm

हार्दिक आभार आद०समर भाई साहब

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2018 at 10:45am

आद0 रामबली जी सादर अभिवादन। छप्पय छंद में भक्ति रस से सराबोर बेहतरीन रचना पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये। 

Comment by narendrasinh chauhan on October 12, 2018 at 2:27pm

खूब सुन्दर रचना 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 11, 2018 at 5:46pm

आदरणीय रामबली जी सुंदर एवं आकर्षक छप्पय छन्द पढ़कर आनन्द आ गया बधाई हो 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 10, 2018 at 3:24pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी शुभ दोपहर, बहुत सुंदर छंद का निर्वाह हुआ है , उत्तम रचना , बहुत बहुत बधाई आपको|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service