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गजल(उजाले..लुभाने लगे हैं)

122 122 122 122

उजाले हमें फिर लुभाने लगे हैं

नया गीत हम आज गाने लगे हैं।1

बढ़े जो अँधेरे, सताने लगे हैं

गये वक्त फिर याद आने लगे हैं।2

कदम से कदम हम मिलाके चले थे

पहुँचने में क्यूँ फिर जमाने लगे हैं? 3

लुटे जालिमों से,यहाँ भी ठगे हम

लुटेरे मसीहा कहाने लगे हैं।4

अदाओं ने मारा बहाने बनाकर,

बसे जो ज़िगर खूं बहाने लगे हैं।5

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by TEJ VEER SINGH on August 15, 2018 at 10:29am

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।

कदम से कदम हम मिलाके चले थे

पहुँचने में क्यूँ फिर जमाने लगे हैं? 

कृपया ध्यान दे...

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