For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल नम्बर 2,कुछ नये क़वाफ़ी के साथ ।

फाइलातून फ़ाइलातुन फाइलुन

दुश्मन-ए-जाँ लरज़ह  बर अंदाम है

जब तलक ज़िन्दा हमारा नाम है

सोचने की क़ुव्वतें मफ़लूज हैं

मुल्क में सबको हुआ सरसाम है

चूस लेती है बदन का ये लहू

शाइरी भी कितनी ख़ूँँ  आशाम है

उसको छूने से भी मुझको डर लगे

इस क़दर नाज़ुक वो गुल अंदाम है

ये तो दीवानों की बस्ती है "समर"

तुम यहां क्यों आ गए क्या काम है

---------

लरज़ह बर अंदाम--कांपना

मफ़लूज--अपाहिज,जिसे फ़ालिज मार गया हो ।

सरसाम--एक बीमारी जिसमें सर में वरम(सूजन)आ जाती है ।

खूँ आशाम--ख़ून चूसने वाली ।

गुल अंदाम---फूल सा बदन

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 965

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2017 at 2:53pm

उसको छूने से भी मुझको डर लगे

इस क़दर नाज़ुक वो गुल अंदाम है ...क्या ख़ूब नाज़ुक शेर हुआ है.  

इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई निवेदित है आ. समर सर. सादर.

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 2:41pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।  लरज़ह बर अंदाम का मतलब काँपना नहीं बल्कि ,कांपने वाला ,या   वो जिस पर कंपकपी तारी हो ,  है देखियेगा

Comment by नाथ सोनांचली on December 28, 2017 at 2:12pm

आद0 समर साहब सादर प्रणाम। क्या खूब ग़ज़ल कही आपने।

दुश्मन-ए-जाँ लरज़ह  बर अंदाम है

जब तलक ज़िन्दा हमारा नाम है

बेहतरीन मतला, बाकमाल

ये तो दीवानों की बस्ती है "समर"

तुम यहां क्यों आ गए क्या काम है

गज़ब मकता, वाह वाह वाह

एक एक शैर दमदार, वाह । शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। 

Comment by Ajay Tiwari on December 28, 2017 at 2:06pm

आदरणीय समर साहब, सारे शेर खूबसूरत है. मतला बहुत जोशीला है. उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.  

Comment by Mohammed Arif on December 28, 2017 at 2:01pm

ये तो दीवानों की बस्ती है "समर"

तुम यहां क्यों आ गए क्या काम है। वाह! वाह!! क्या ख़ूब ग़ज़ल मक्ता है । सच है दीवानों की बस्ती में दीवानें ही रहते हैं अन्य का क्या काम है ।अगर रहना ही दीवानों की बस्ती में तो फिर दीवाना बनना होगा ।

शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 1:36pm
बहुत मुबारक़बाद.... ये तो दीवानों की बस्ती है "समर"
तुम यहां क्यों आ गए क्या काम है
Comment by SALIM RAZA REWA on December 28, 2017 at 1:36pm
वाह.. जनाब समर साहब,
ख़ूबसूरत ग़ज़ल से नवाज़ने के लिए शुक्रिया...मुरस्सा ग़ज़ल
.चूस लेती है बदन का ये लहू
शाइरी भी कितनी ख़ूँँ आशाम है
वाह......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
8 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
37 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
40 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
40 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
41 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
43 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। आदरणीय ग़ज़ल तक आने व बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु…"
43 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के।लिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service