For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधुर दोहे :

मन के मधुबन में मिले, मन भ्र्मर कई बार।
मूक नयन रचते रहे, स्पंदन का संसार।।

थोड़ा सा इंकार था थोड़ा सा इकरार।
सघन तिमिर में हो गयी , प्रणय सुधा साकार।।

बाहुपाश से देह के, टूटे सब अनुबंध।
स्वप्न सेज महका गयी ,मधुर बंध की गंध।।


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 928

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2017 at 8:18pm

आदरणीय रामानुज जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। भविष्य में ५ से कम तो कभी नहीं होंगे आपके प्रिय दोहे। थैंक्स 

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2017 at 8:17pm

आदरणीय  Tasdiq Ahmed Khan साहिब, आदाब , सृजन को अपनी मनोहारी प्रतिक्रिया से मान देने का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2017 at 3:24pm

सुंदर दोहे | अगली बार आपके कम से कम पाँच दोहें पढने को मिलने चाहिए भाई शुशील सरना जी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2017 at 8:29am
जनाब सुशील सरना साहिब ,सुन्दर और मधुर दोहे हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Sushil Sarna on November 19, 2017 at 6:18pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी सृजन को मान देने एवं सुझाव देने का दिल से आभार।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 19, 2017 at 1:25pm

बहुत सुन्दर 

//मन भ्रमर कई बार //.... इसमें प्रवाह बाधित है, शब्द संयोजन को बदल कर देखें 

सादर 

Comment by Sushil Sarna on November 16, 2017 at 6:03pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब मधुर दोहों पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया ने उनकी मधुरता में चार चाँद लगा दिए  ... तहे दिल से शुक्रिया।  विशवास रखिये अब जब भी हम आएंगे  ५ दोहों से कम तो कभी न आएंगे।  सादर। ... 

Comment by Samar kabeer on November 16, 2017 at 5:25pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक प्रस्तुति में कम से कम पांच दोहे तो होना चाहिए ।
Comment by Sushil Sarna on November 16, 2017 at 11:55am

आदरणीय मो. आरिफ साहिब, आदाब , सृजन को अपनी मनोहारी प्रतिक्रिया से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on November 16, 2017 at 11:55am

आदरणीय सलीम साहिब आदाब , प्रस्तुति के भावों को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service