For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: मर्ज़ अपने हैं सभी...

मर्ज़ अपने हैं सभी कोई न बेगाना
मेरे घर का एक कोना है दवाखाना

इक नशा सा है मगर साकी न पैमाना
ज़ख़्म अपने पास हैं और दूर मैखाना

किस बीमारी का पता क्या है, वतन क्या है
पूछना कुछ हो तो मेरे घर पे आ जाना

आह भी है, ऊह भी है, शाम है ग़मगीन
शम्अ जलती दर्द की, मैं मस्त परवाना

कोई काँटा, कोई पत्थर, कोई ख़ंजर है
दर्ददाताओं से ही अपना है याराना

इक ग़ज़ल आयी ठिठुरती, कह गयी मुझसे
जम न जाना, जनवरी में ठंड है, माना ।

धूप धरती से किसी ने अपहरण कर दी
बादलों के पार भी तो हो कोई थाना

उन बहारों के न कोई ख़्वाब थे फिर भी
बन गयी कल की हक़ीक़त आज अफ़साना

कर दिये थे बन्द, दिल के खिड़की दरवाज़े
फिर भी अंदर सज गया माहौल ग़ज़लाना

नृत्य करती हैं हवाएँ बाँधकर घुँघरू
बज रही है ताल धिन् धिन् ताना धिन् ताना

ये महल, दौलत तुम्हें ही हो मुबारक यार
अब मिरी आज़ादी पर भी जी न ललचाना
(मौलिक व अप्रकाशित)
-कृष्णसिंह पेला

Views: 759

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krishnasingh Pela on January 22, 2015 at 10:41am
आ.प्रतिभा त्रिपाठी जी, आप की प्रतिक्रिया से मेरा उत्साह काफी बढ़ा है । आपको सादर धन्यवाद !
Comment by Krishnasingh Pela on January 22, 2015 at 10:38am
आ. गिरिराज भण्डारी जी , हौसला आफजाइ के लिए तहे दिल से शुक्रिया । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2015 at 8:09am

बादलों के पार भी तो हो कोई थाना  -----  बहुत सुन्दर भाई कृष्णा सिंग जी , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 6:53pm
हौसला अफ़्जाई के लिए बहुत शुक्रिया श्याम नारायण जी । आप से बधाई प्राप्त कर के मैं प्रेरणा से भर गया हूँ । सादर ।
Comment by Shyam Narain Verma on January 21, 2015 at 11:21am
क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को 
Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 8:51am
आ. भुवन जी आपने ग़ज़ल को सराहा तो मेरे उत्साह के शिखर ने और अधिक उचाई ली । हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 8:45am
आ. राहुल साहब बहुत शुक्रिया । आप लोगों की दुआएँ प्राप्त करना मेरा सौभाग्य है ।
Comment by भुवन निस्तेज on January 21, 2015 at 8:28am
बड़ी अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीय कृष्ण सिंह पेल जी नें। पूरी ग़ज़ल झूमने पर मजबूर कर देती है।
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 20, 2015 at 10:07pm
आदरणीय क्या कहूं मुझे आपकी गजल कुछ ज्यादा ही भा गई बस मजा आ गया! ! दुआ करता हुँ आपकी कलम से ऐसी ही रसभरी गजल निकलती रहे! सादर!
Comment by Krishnasingh Pela on January 20, 2015 at 10:00pm
आ. हरि प्रकाश साहब आप से बधाइ प्राप्त कर मेरी रचना धन्य हो गयी है । हार्दिक धन्यवाद !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
41 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service