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नवगीत : सूरज रे जलते रहना.

**सूरज रे जलते रहना.

भीषण हों कितनी पीढायें,

अंतस में दहते रहना.

सूरज रे जलते रहना.

 

घिरते घोर घटा तम बादल,

रोक नहीं तुमको पाते,

सतरंगी घोड़ों के रथ पर,

सरपट तुम बढ़ते जाते.

दिग दिगंत तक फैले नभ पर,

समय चक्र लिखते रहना.

सूरज रे जलते रहना.

 

छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,

मल्टी वाले मुस्टंडे.

सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,

झुग्गी वाले हैं ठन्डे.

फैले बरगद के नीचे के,

तिनकों की सुनते रहना.

सूरज रे जलते रहना.

 

धुंध धुंआ पाला कुहरा सब.

कष्टों का अम्बार लिए.

कहर ढा रहे ओले बादल,

अपना शस्त्रागार लिए.

शोषण करते इन दुष्टों से.

चौकस हो लड़ते रहना.

सूरज रे जलते रहना.

 

अवयव अपने जला जला कर,

तुम तापस बन तपते हो.,

हरते तमस पीर इस जग की.

परमारथ ही करते हो.

धरती के हर कोने जाकर,

ऊर्जा धन भरते रहना..

सूरज रे जलते रहना. 

 **हरिवल्लभ शर्मा 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 8, 2015 at 11:54am

अवयव अपने जला जला कर,

तुम तापस बन तपते हो.,

हरते तमस पीर इस जग की.

परमारथ ही करते हो.

धरती के हर कोने जाकर,

ऊर्जा धन भरते रहना..

सूरज रे जलते रहना. ---------------------------bahut sundar rachna I vaah----- I

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 8, 2015 at 11:48am

धरती के हर कोने जाकर,

ऊर्जा धन भरते रहना..

सूरज रे जलते रहना.

आदरणीय भाई हरिबल्लभ जी ,इस सुन्दर गीत के लिए  हार्दिक बधाई .

Comment by harivallabh sharma on January 7, 2015 at 8:09pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी स्नेहिल अभिस्वीकृति का  ह्रदय तल से आभार...सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2015 at 8:02pm
बहुत सुन्दर नवगीत हुआ है बहुत बहुत बधाई सर
Comment by harivallabh sharma on January 7, 2015 at 7:47pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker साहब आपका हार्दिक आभार , रचना पर आपकी स्नेहिल टीप से प्रोत्साहन मिला ..सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2015 at 7:25pm
बहुत खूब. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी , सादर।
Comment by harivallabh sharma on January 7, 2015 at 7:20pm

आदरणीय gumnam pithoragarhi जी  आपका अनुमोदन मिला हार्दिक आभार  आपका.

Comment by harivallabh sharma on January 7, 2015 at 7:18pm

आदरणीया Maheshwari Kaneri जी रचना पर आपका अनुमोदन मिला , प्रोसाहित करती टीप हेतु ह्रदय से आभार आपका,..सादर 

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 7, 2015 at 7:12pm

वाह सर बहुत खूब रचना हुई है बधाई स्वीकारें

Comment by Maheshwari Kaneri on January 7, 2015 at 6:27pm

.आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी , सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई 

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