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देख तिरंगा लहराता

मन उठा, भ्रमर सा जागा है

 

पुलकित सूरज की किरनें

रंग तीन यह जो चमकें

इस मंद हवा की लहरों पर

मन झूम-झूमकर गाता है

 

सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है

 

जीवन मेरा धन्य हुआ

भारत में जो जन्म हुआ

ये प्राण निछावर हैं इस पर

यह धरती अपनी माता है

.

बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on September 7, 2013 at 10:19pm

आदरणीय राम भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 7, 2013 at 9:55pm

जीवन मेरा धन्य हुआ

भारत में जो जन्म हुआ

ये प्राण निछावर हैं इस पर

यह धरती अपनी माता है........अति सुंदर,.इन पंक्तियों को बार बार पढ़ने को दिल करता है,

सुंदर व् प्रभावशाली रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीय बृजेश जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2013 at 3:50pm

ब्रिजेश जी ..शानदार रचना पर हार्दिक बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 3:16pm

सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है///वाह कितने मीठे शब्द 

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय भाई ब्रिजेश जी //हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 11:50pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by annapurna bajpai on September 6, 2013 at 11:35pm

जीवन मेरा धन्य हुआ

भारत में जो जन्म हुआ

ये प्राण निछावर हैं इस पर

यह धरती अपनी माता है............................. अतीव सुंदर पंक्तियाँ । आ0 बृजेश जी बहुत बहुत बधाई इस सुंदर रचना केलिए । 

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:15pm

आदरणीय निकोर साहब, आपका बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:14pm

आदरणीया मीना जी हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:13pm

आदरणीय अरुन भाई आपका हार्दिक आभार! आपके शब्दों से बहुत बल मिला!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:12pm

आदरणीय आशुतोष जी हार्दिक आभार!

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