For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा : रमजान (गणेश जी बागी)

क किलो मटन आज वास्तव में एक किलो का ही लग रहा था । मैंने तराजू और बाट पर नज़र दौड़ाई । मालूम हुआ दोनों बिल्कुल नये हैं । अभी पिछ्ले महीने ही मटन लेने आया था तो पुराना तराजू और घिसे हुए बाट थे । बाट के नीचे से लगा हुआ तब रांगा भी गायब था । एक किलो मटन मानो आठ सौ ग्राम का ही लगता था | 
दुकान पर मौजूद छोटू से मैने धीरे से पूछ ही लिया, "क्या बात है जी, नया तराजू, नये बाट?.." 
छोटू दुकान मालिक की नज़र बचा कर फुसफुसाया, "सर, रमजान का महीना है ना, मालिक का रोज़ा चल रहा है,  ईद बाद फिर वही ........"
  • समाप्त 
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघु कथा : दर्द

Views: 1514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on August 9, 2013 at 2:07pm

बहुत खूब! 'रमजान के उस एक महीने, दीन और ईमान का पालन अनिवार्य है; नहीं तो खुदा का कहर टूट पड़ेगा. उसके बाद तो कुछ भी 'स्याह सफेद' करते रहो, कोई हर्ज नहीं'- कितने ही लोग, ऐसा सोचते होंगे. बीमार मानसिकता पर प्रहार करने वाली, सार्थक एवं प्रभावी लघुकथा. बधाई आपको.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 9, 2013 at 2:03pm

प्रस्तुत लघुकथा न तो हिंसा की बात करती है न धर्म-रक्षा की.  यह सीधे आईना दिखाती है आज के ढोंगियों की करतूतों की. आज नियम और आचरण कितने छिछले हो गये हैं.  नैतिकता के प्रति हम कितने लापरवाह हैं.

भाई गणेशजी, आपकी पारखी नज़र ने जिस महीनी से तथ्य के प्रति इशारा किया है वह इस लघुकथा को बहुत ऊँचाइयाँ दे सकने में सक्षम है. बहुत-बहुत बधाइयाँ लें

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 9, 2013 at 12:37pm

आ0 बागी सर जी,   वाह! सर जी, जम के क्लास ली है।  तहेदिल से बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें।   सादर

Comment by Shyam Narain Verma on August 9, 2013 at 11:42am
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 9, 2013 at 10:09am

आदरणीय अभिनव अरुण जी, आपके द्वारा प्राप्त मुक्त कंठ से प्रशंसा हर्षकारी है, बहुत बहुत आभार। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 9, 2013 at 10:05am

सराहना हेतु आभार आदरणीय यतीन्द्र पाण्डेय जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 9, 2013 at 10:04am

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी, उत्साहवर्धन करती प्रथम टिप्पणी हेतु आतिश: आभार।  

Comment by Vindu Babu on August 9, 2013 at 8:20am
हा हा...
क्या चित्र प्रस्तुत किया आपने आदरणीय!
रमजान में इस छोटी सी बात पर तो इतना ध्यान दिया छोटू ने,पर इतनी हिंसा! उसका क्या?
सादर बधाई आपको,इस सफल लघुकथा के लिए,और ईद की भी...
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 9, 2013 at 8:09am

सच्चाई बयान करती लघुकथा, आदरणीय बागी जी. बधाई स्वीकार करें.
आज मनुष्य के मन में उपरवाले डर एक समय विशेष में ही रहता है उसके बाद उनकी मनुष्यता कहाँ जाती है पता नही.

Comment by Abhinav Arun on August 9, 2013 at 6:34am

वाह बागी जी क्या कहने .. अच्छा दो भाव बखूबी निखर कर आये हैं ... एक तो कहीं न कहीं आज भी भय है उपर वाले का जो हमें सच्चाई का रस्ते का एहसास कराता है पर फिर भी हम दुनियाबी गणित में उलझे रहते हैं ..और दूसरा छोटू का उत्तर उसमे बहुत कुछ है ..हास्य का पुट भी .... अत्यंत श्रेष्ठ रचना अरसे बाद ऐसी सशक्त लघु कथा पढ़ी ..बहुत बहुत बधाई आपको !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
31 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service