For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

****************************************

दवा ही बन गई है मर्ज़ इलाज क्या होगा;

उसे सुकून यक़ीनन बहुत मिला होगा; (१)

मैं नूरे-चश्म था जिसका कभी वो कहता है,

नज़र भी आये अगर तो बहुत बुरा होगा; (२)

हमारे बीच मसाइल हैं कुछ अभी बाक़ी,

ठनी है जी में यही, आज फ़ैसला होगा; (३)

जहाँ ख़ुलूस दिलों में है धड़कनों की तरह,

वहीं पे मंदिरों में जल रहा दिया होगा; (४)

तेरे गुनाह की पोशीदगी है दुनिया से,

मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा; (५)

गुज़ारता मैं तेरे साथ वक़्त और मगर,

न रोक आज के वो राह ताकता होगा; (६)

नहीं रहा जो जहाने-ज़वाल में 'वाहिद',

'चलो ये ठीक हुआ' आपने कहा होगा; (७)

****************************************

बह्रे-मुज़ारे मुसम्मन मुरक्कब मक़्बूज़ मख़्बून मक़्बूज़ महज़ूफ़ो मक़्तुअ

१२१२/ ११२२/ १२१२/ २२

Views: 774

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on November 17, 2012 at 6:29pm

तेरे गुनाह की पोशीदगी है दुनिया से,

मगर ख़ुदा की निगाहों से क्या छुपा होगा; 

गुज़ारता मैं तेरे साथ वक़्त और मगर,

न रोक आज के वो राह ताकता होगा

बहुत उम्दा गज़ल संदीप जी, एक से बढ़कर एक शेर कहे है अपने  बहुत खूब ।

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 16, 2012 at 11:58am

आदरणीया राजेश जी, आपका हार्दिक आभार! सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 15, 2012 at 10:48pm
बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है संदीप द्विवेदी जी हर  शेर शानदार है दाद कबूल कीजिये 
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 15, 2012 at 7:36pm

आदरणीया विनीता जी,

आपसे तो प्रारंभ से ही सीखता आया हूँ! आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 15, 2012 at 7:35pm

आदरणीय अशोक जी,

प्रेरणास्पद शब्दों के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ! सादर,

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 15, 2012 at 7:34pm

आदरणीय डॉ. साहब,

आप जैसे माहिर फ़नकार से सराहना मिलती है तो निश्चय ही अच्छा लगता है! आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 15, 2012 at 7:34pm

आपसे प्रशंसा के चंद शब्द पा कर चित्त प्रसन्न हुआ आदरणीय सौरभ जी! सादर धन्यवाद,

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on November 15, 2012 at 7:32pm

आपका हार्दिक आभार वीनस जी! आप सदैव ही एक प्रेरक की भूमिका निभाते हैं! आपकी इस्लाह सचमुच बहुत ही शानदार है केवल डेढ़ मात्रा के शब्द के परिवर्तन से शे'र के अर्थ में विशेष प्रभाव आ रहा है! आपसे सराहना एवं अनुमोदन प्राप्त हुआ इसके लिए ऋणी हूँ! प्रतिक्रियाओं के उत्तर देने के पश्चात आवश्यक संशोधन कर रहा हूँ! आदरणीय संचालक महोदय से विनम्र निवेदन है कि इसे शीघ्र ही 'अप्रूव' करने की कृपा करें! सादर,

Comment by Vinita Shukla on November 15, 2012 at 9:11am

बहुत खूब...खूबसूरत गजल के लिए बधाई.

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 15, 2012 at 8:34am

आदरणीय संदीप जी 

                       सादर, बहुत ही उम्दा अशार मजा आगया. बधाई स्वीकारें. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service