For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिहर जाता हूँ, ऐसा बोलता है - ग़ज़ल : वीनस केशरी

एक नई ग़ज़ल पेश -ए- खिदमत है, मुलाहिजा फरमाए

 


सिहर जाता हूँ, ऐसा बोलता है
वो बस मीठा ही मीठा बोलता है

समय के सुर में बोलेगा वो इक दिन 
अभी तो उसका लहज़ा बोलता है

ये उसकी तिश्नगी * है या तिज़ारत**
वो मुझ जैसे को दरिया बोलता है

उसे खुद ही नहीं मालूम होता
नशे में मुझसे क्या क्या बोलता है

वो  सब कुछ जानता है और फिर भी
अँधेरे को उजाला बोलता है

पुरानी बात है, सब जानते हैं
 नया मुर्गा  ही ज्यादा बोलता है

मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है
-------------------------------------------
*     तिश्नगी   = प्यास
** तिज़ारत = व्यापार

बह्र ए हजज मुसद्दस मह्जूफ़

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on October 22, 2011 at 10:40am

ek behatarin ghazal. 

क्या बेहतरीन शे'र गढ़े है.

Comment by विवेक मिश्र on October 22, 2011 at 12:43am

'मुकम्मल ग़ज़ल' का एक उदाहरण है ये ग़ज़ल.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 28, 2011 at 12:19am

इन बेशकीमती अशार से आज रू-ब-रू हो पा रहा हूँ. बहुत ही कामयाब कहन पर कमाल की कलमगोई. बधाई.

भाई आपके आत्मविश्वास से दंग हूँ. अच्छा किया, कह दिया ! बहुत अच्छे.

 

 

Comment by वीनस केसरी on September 25, 2011 at 12:51am

पुनः धन्यवाद :)

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 25, 2011 at 12:50am

आपका स्वागत है मित्र !

Comment by वीनस केसरी on September 25, 2011 at 12:25am

अम्बरीष जी इस ख़ूबसूरत हौसलाअफजाई के लिए धन्यवाद

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 25, 2011 at 12:07am

//पुरानी बात है, सब जानते हैं

 नया मुर्गा  ही ज्यादा बोलता है

मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है//
गजब गजब ! क्या बात है वीनस भाई....बहुत खूबसूरत अशआर....
Comment by वीनस केसरी on September 24, 2011 at 11:02pm

योगराज प्रभाकर जी, तिलक जी, राजेन्द्र जी, दुष्यंत जी, गणेश जी और सतीश जी
आप सभी का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ कि आपने ग़ज़ल को पसंद किया व इतने सुन्दर शब्दों में हौसलाअफजाई की, धन्यवाद
आभार

Comment by satish mapatpuri on September 24, 2011 at 9:11pm

उसे खुद ही नहीं मालूम होता
नशे में मुझसे क्या क्या बोलता है

मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है
शानदार ............. अनुपम .............. दाद कबूल करें वीनस जी  

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2011 at 4:02pm

उसे खुद ही नहीं मालूम होता
नशे में मुझसे क्या क्या बोलता है

 

बेहद खुबसूरत ग़ज़ल है वीनस जी, सभी शे'र दहाड़ रहे है, दाद स्वीकार करे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service