For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मरज़ जुदाई का (अतुकांत)

जुदाई है महरुमी-ए-मरज़ क्या, जुदाई कहे क्या

हो ज़िन्दगी में खुशी का मौसम या मातम इन्तिहा

कर देती है दिल को बेहाल हर हाल में यह

रातें मेरी हैं बार-ए-गुनाह अब जुदाई में तेरी

किस्सा: है  कुश्त-ए-ग़म, यह तसव्वुर है कैसा

कहीं आकर पास  दबे पाँव न लौट जाओ तुम

नींद तो क्या यह रातें अंगड़ाई तक हैं लेती नहीं

अंजाम के दिन बुला कर आख़िर में पूछेगा जो

आलम अफ़्रोज़ खुदा उसूलन पास बुला कर मुझे

यूँ मायूस हो क्यूँ? मलाल है? आरिज़: है क्या?

तनाब-ए-उम्र में हम कब से तफ़ारूक ही सही

फिर भी माँग लूँगा खुदा से आलम-ए-बका में भी

उफ़: ...

उम्मीद में तेरी, तनहा जुदाई के चार और दिन

                        ----------

  -- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

............................................................

महरूमी                      = निराशा, असफ़लता, दुर्भाग्य

मरज़                           = बीमारी

आलम अफ़्रोज़              = संसार को प्रकाशित करने वाला

आरिज़                        = रोग, व्याधि

मलाल                         = दुख, वैमनस्य, पश्चाताप

आलम-ए-बका              = परलोक

असूलन                        = असूल से, नियमानुसार

तफ़ारुक                      = एक दूसरे से जुदा होना

तबाब-ए-उम्र                 = आयुकाल

इंतिहा                          = पराकाष्ठा, चरम सीमा

बार-ए-गुनाह                 = गुनाहों का बोझ

तसव्वुर                        = ध्यान, विचार

कुश्त-ए-ग़म                  = प्रेम अग्नि में भस्म किया हुआ

किस्स:                         = कथा, घटना

तन्हा                            = एकाकी, केवल, एकमात्र

Views: 913

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on June 17, 2018 at 2:47am

भाई समर जी। आदाब। अवकाश पर होने के बावजूद मेरी रचना को समय देने के लिए आभारी हूँ।  विस्तार में प्रतिक्रिया देने के लिए और मार्ग-दर्शन के लिए भी दिल से शुक्रिया। मुझको आपसे यही उमीद थी... कि आप निसंकोच मुझको गाईड करेंगे। बहुत, बहुत आभार। मेरे पास उर्दू की जो डिक्शनरी है उसमें मैंने अब जाना कि बहुधा शब्द अरबी - फ़ारसी के हैं। अच्छी उर्दू के लिए कृपया कोई dictionary  बाताएँ।

हाँ, और रचना की सराहना के लिए आभार, भाई।

लगभग एक साल से मुझको e mail में  notifications बहुत ही कम मिल रही हैं। कितनी बार यहाँ ओ बी ओ पर आता हूँ तो अचानक कोई प्रतिक्रिया द्ख जाते है... अभी भी ऐसा ही हुआ। सादर और सस्नेह। Dictionary के बारे में बताइएगा, प्लीज़।

Comment by Samar kabeer on June 13, 2018 at 2:57pm

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,ओबीओ से अवकाश पर होने के बावजूद आपके आदेशानुसार आपकी रचना पर हाज़िर हूँ ।

आपकी रचना भाव के हिसाब से बहुत ही उम्दा और दिल को छूने वाली है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई पेश करता हूँ ।

कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा,और वो ये कि आपने कविता में जिस भाषा का प्रयोग किया है वो आम पाठक की समझ में आने वाली नहीं,कोई भी रचना उसी वक्त लोकप्रिय होती है जो पाठक को जल्दी समझ में आती है,हालाँकि आपने रचना के साथ शब्दार्थ भी दिये हैं ।

आपकी रचना अगर उर्दू भाषा में होती तो आम पाठक उस तक आसानी से पहुंच जाता लेकिन इसमें अधिकतर शब्द फ़ारसी और अरबी भाषा के हैं, जिसे आप उर्दू भाषा समझ रहे हैं ।

उर्दू भाषा अस्ल में कोई भाषा ही नहीं है,इसे लश्करी ज़बान कहा गया है,और जिसे हिन्दुई या हिन्दी; ए-मुअल्ला भी कहते हैं,उर्दू हमारे देश में पैदा हुई,और इसे लश्करी ज़बान इसलिये भी कहा जाने लगा कि उर्दू का अर्थ होता है लश्कर, हमारे देश पर अलग अलग समय में कई लोगों का शासन रहा है, और इसी वजह से इसे लश्करी ज़बान का नाम दिया गया,जो सबकी समझ में आसानी से आ जाये,आज हम आम बोल चाल में जिस ज़बान को बोलते हैं वो न तो शुद्ध हिन्दी है, न संस्कृत है, न फ़ारसी,वो यही लश्करी ज़बान है, जिसे उर्दू कहा जाता है,आपसे अनुरोध है कि आप इसी भाषा का प्रयोग अपनी रचनाओं में करें तो ज़ियादा से ज़ियादा पाठक आपसे और आपकी रचनाओं से जुड़ सकेंगे,उम्मीद है आप मेरी बात तक पहुंच गये होंगे ।

16 जून से पटल पर हाज़िरी हो जायेगी ।

Comment by vijay nikore on June 5, 2018 at 7:37am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय डा० छोटेलाल सिंह जी

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on June 4, 2018 at 3:34pm
आदरणीय निकोर साहब आकर्षक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
Comment by vijay nikore on June 4, 2018 at 1:58pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय शंकर जी

Comment by vijay nikore on June 4, 2018 at 1:57pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्रसिंह जी

Comment by vijay nikore on June 4, 2018 at 1:57pm

 सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।  

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 2, 2018 at 4:38pm

उम्र के चढ़ाव पर तन्हा जुदाई जैसे गम्भीर विषय पर एक बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये आपको ह्रदयतल से बहुत बधाई , आदरणीय विजय निकोर जी , सादर।

Comment by narendrasinh chauhan on June 2, 2018 at 10:14am
खुब सुन्दर रचना
Comment by Mohammed Arif on June 1, 2018 at 10:24am

आदरणीय विजय निकोर जी आदाब,

                            बहुत ही लाजवाब, उम्दा रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
50 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
52 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
55 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
58 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service