For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'रिश्तों का बसंत' (लघुकथा)

"ज़्यादा मत उड़ो, ज़मीन पे रहो; घर-गृहस्थी पे ध्यान दो, समझे!"
"ऐसा क्यों कह रहे हैं बाबूजी, मुझसे क्या ग़लती हुई?"
"ग़लती नहीं, ग़लतियां कर रहे हो मियां!"
" समझा नहीं! क्या मेरी साहित्यिक यात्राओं से आपको कोई कष्ट?"
" मुझे ही नहीं, हम सब को तक़लीफ है! सुना है कि कल फिर तुम दिल्ली से क़िताबें सूटकेश में भर कर लाये हो! पगलिया गये हो क्या?"
"बाबूजी, ये वे पुस्तकें हैं जिनमें मेरी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं या जिन्हें पढ़कर मुझे अपना लेखन सुधारना है!"
"अब बहू ही तुम्हें सुधारेगी बेटा! लिखना बंद कर! पत्नी से रिश्ते सुधार ले! साहित्य के सम्मेलनों से कुछ नहीं मिलने वाला, फक्कड़पन के सिवाय!"
"बहुत कुछ मिलता है बाबूजी! रिश्तों का बसंत मिलता है, देश की ज़मीन, ज़मीनी हक़ीक़तों और भविष्य के रिश्ते समझ में आते हैं! लेखकों से रिश्ते मज़बूत होते हैं!"
"बेटा, मेरे बाल ऐसे ही नहीं पके हैं! अगर साहित्य से रिश्तों के बसंत आते, तो देश और दुनिया के ऐसे हालात न होते!"
(मौलिक व अप्रकाशित)

(22-01-2018-बसंत पंचमी)

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 26, 2018 at 3:08pm

मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब, जनाब महेंद्र कुमार साहिब, जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब विजय निकोरे साहिब। आप सभी की हौसला अफ़ज़ाई और मार्गदर्शन से यह अभ्यास जारी है। पाठकी टिप्पणियों से हम प्रोत्साहित होते हैं और सीखते हैं।

Comment by vijay nikore on January 25, 2018 at 1:11pm

बहुत ही खूबसूरत लघु कथा... पढ़ता गया और कुछ हैरान भी हुआ कि आप लघु कथा इतनी अच्छी कैसे लिख लेते हैं। 

हार्दिक बधाई

Comment by Mohammed Arif on January 24, 2018 at 8:09am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                            बहुत ही कटाक्षपूर्ण लघुकथा । साहित्यिक क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि " अपना घर फूँक और तमाशा देख ।" आप मेरे कहने का आशय समझ गए होंगे । दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 8:03pm

साहित्य पर अच्छी व्यंग्यात्मक लघुकथा हुई है आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by TEJ VEER SINGH on January 22, 2018 at 11:50am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल के लिए की गई मश्क़ अच्छी है और भविष्य की सुखद उम्मीदें जगाती है। प्रयासरत रहिए आदरणीय आज़ी साहब!…"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
53 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर "
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई सुरेंद्र जी अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. रिचा जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। कुछ बदलाव…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। गुणीजनो की सलाह से इसमें निखार आ गया है । हार्दीक…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने अच्छी इस्लाह…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद जी  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय सुरेंद्र जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया अपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों ने…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service