For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत- लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है

अब तो आओ कृष्ण धरा ये थर्राती है।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है।।

द्युत क्रीड़ा में व्यस्त युधिष्ठिर खोया है,
अर्जुन का गांडीव अभी तक सोया है।
दुर्योधन निर्द्वन्द हुआ है फिर देखो,
दुःशासन को शर्म तनिक ना आती है।।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है।।

धधक रही मानवता की धू धू होली,
विचरण करती गिद्धों की वहशी टोली।
नारी का सम्मान नहीं अब आँखों में,
भीष्म मौन फिर गांधारी सकुचाती है।।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है।।

सोने के मृग गली गली अब फिरते हैं,
और जटायू बेबस मर मर गिरते हैं।
लक्ष्मण रेखा लांघ रही देखो सीता,
संत भेष में फिर से रावण घाती है।।
लुटने को है लाज द्रौपदी चिल्लाती है,
अब तो आओ कृष्ण धरा ये थर्राती है।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 14, 2017 at 5:53pm

आद0 विजय निकोर जी, हृदय से धन्यवाद

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 14, 2017 at 5:52pm

आद0 रामबली गुप्त जी, हार्दिक आभार

Comment by vijay nikore on December 14, 2017 at 3:59pm

सुन्दर प्रभावशाली गीत के लिए बधाई, आ० पवन जी।

Comment by रामबली गुप्ता on December 14, 2017 at 3:22am

सुंदर गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय पवन जी

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 13, 2017 at 4:14pm

आद0 सुरेंद्र नाथ सिंह जी, हार्दिक आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 13, 2017 at 4:14pm

आदरणीय मनोज श्रीवास्तव जी, इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिये हृदय से धन्यवाद

Comment by नाथ सोनांचली on December 13, 2017 at 5:02am

आद0 पवन मिश्र जी सादर अभिवादन। बेहतरीन सर्जना हुई है, बहुत उम्दा। आपको इस प्रस्तुति पर कोटिश बधाइयाँ निवेदित है। सादर

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 12, 2017 at 9:36pm

आदरणीय डाॅ. पवन मिश्र जी सादर वन्दे! बहुत ही अच्छी रचना है। सादर बधाई स्वीकार करें।

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 12, 2017 at 7:37pm

आद0 राजेश कुमारी जी। इस दिशा में मेरा ज्ञान बहुत अल्प है। आग्रह है आपसे कि कृपया गीत और नवगीत को समयानुकूल व्याख्यायित कर दीजियेगा।

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 12, 2017 at 6:33pm

आद0 राजेश कुमारी जी, हार्दिक धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service