For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बंधन : लघुकथा: हरि प्रकाश दुबे

शानदार फूलों से सुसज्जित मंच पर धर्मगुरु विद्यमान ,साथ ही भजन कीर्तन करने वाली भाड़े पर रखी गयी  टीम ,सामने लम्बा पांडाल , अति विशिष्ट भक्तों के लिए आगे सुन्दर सोफों की कतार ,पीछे दरी पर हाथ जोड़ कर बैठे भक्तजन , जगह –जगह एलसीडी ,साउंड सिस्टम , अब प्रवचन शुरू ..........

 

” आप सब के दुखों का कारण ही यही है की आप लोग तमाम मोह ,माया के बंधन में फसें हुए हैं,किसी को परिवार की चिंता है ,कोई धन के पीछे भाग रहा है ,अरे कुत्ते की तरह जिंदगी बना ली है आप लोगों ने अपनी, अरे मैं तो कहता हूँ यह  संसार ही एक बंधन है  ।“

 

इतना सुनते ही एक नव दम्पति उठकर खड़े हो गए और बोले “ तब उपाय क्या है स्वामी जी !”

“अरे गुरु की शरण में आओ, ईश्वर को समर्पित हो जाओ !”

 

“ठीक है गुरूजी अपना सब धन दौलत आपको समर्पित कर देतें हैं, पर हमारे इस नन्हें बच्चे का भविष्य ..!”

“अरे उसकी चिंता मत करो अपना एक बहुत बढ़िया स्कूल है और आश्रम में तुम्हारी भी सब वयवस्था हो जाएगी!” .....इतना सुनते ही पांडाल ‘जय हो स्वामी जी’ की आवाज़ से गूँज उठा!

 

“पर स्वामी जी, अभी तो आपने कहा था की यह  संसार ही एक बंधन है , तो क्यों न हम सब इस संसार को ही त्याग दें ?”.....अब सन्नाटा छा गया और गुरूजी के चेहरे की लालिमा उनके क्रोध को स्पष्ट दर्शा रही थी !

नव दम्पति तुरंत उठकर बाहर चले गये ,बाहर खड़े पुलिस-कर्मियों ने उन्हें जबर्दस्त सलाम किया और एक अधिकारी बोला क्या आदेश है सर ?”

 

“अरे यह वही है ,कितने आरोप हैं इस पर ?”

 

“साहब ,हत्या ,बलात्कार ,धोखाधड़ी ..लिस्ट लम्बी है सर !”

 

“ठीक है , जब इसका नाटक खत्म हो जाए तो इसे बाँध कर लाना , मैं समझाता हूँ इसे बंधन...!”

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

© हरि प्रकाश दुबे

 

 

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 18, 2017 at 3:12pm
जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,अच्छी सीख देती,बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on July 18, 2017 at 8:07am
आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन कथानक , बढ़िया चित्रण और अच्छा कटाक्ष । आजकल हमारे समाज में ढोंगी-पाखंडी बाबाओं की बाढ़-सी आई हुई है । गाजर घास और कुकुर मुत्तों की तरह पैदा हो गए हैं । भारतीय समाज को इनसे दो कौड़ी कि भी लाभ नहीं है । सबसे ज़ियादा धन-संपत्ति इन पाखंडियों के पास ही है । बहुत अच्छा कथानक चुना आपने । इससे समाज को सीख लेना चाहिए । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 17, 2017 at 1:50pm
अति सुंदर ...
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 17, 2017 at 12:18pm

बढ़िया विषय हुआ है कथा का | हार्दिक बधाई आदरणीय इस कथा के लिए |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service