For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे भीतर की कविता

मेरे भीतर की कविता
अक्सर छटपटाती है
शब्दों के अंकुर
भावों की विनीत ज़मीन पर
अंकुरित होना चाहते हैं
ना जाने क्यों वे
अर्थ नहीं उपजा पाते हैं
मेरे भीतर की कविता फिर भी
जाकर संवाद करती है
सड़क किनारे बैठे
उस मोची पर जो
फटे जूते सी रहा है
बंगले की उस मेम साहिबा पर
जो अपना बचा फास्ट फुड
डस्टबिन में फेंककर
ज़ोर से गेट बंद करके
अंदर चली जाती है
लेकिन
अनुभूतियाँ ज़ोर मारती है
पछाड़े खाकर गिर जाती है
हृदय की धड़कन पर
ना जाने क्यों मैं
एक अच्छी कविता
नहीं लिख पाता हूँ
मैं शब्दों की सच्चाई का अपराधी हूँ ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 973

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on June 3, 2017 at 8:24pm
रचना को मान देने का हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमारजी ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 3, 2017 at 9:56am
संवेदनाओं से परिपूर्ण रचना आदरणीय..हार्दिक बधाई
Comment by Mohammed Arif on June 3, 2017 at 9:38am
आदरणीय महेंद्र कुमार जी रचना को मान देने का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mahendra Kumar on June 3, 2017 at 9:13am

//ना जाने क्यों मैं एक अच्छी कविता नहीं लिख पाता हूँ// ये शब्द मुझे मेरे बहुत क़रीब लगे. इस बढ़िया कविता के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ सर. सादर.

Comment by Mohammed Arif on May 20, 2017 at 9:00pm
आदरणीया प्रतीभा पांडे जी रचना की सराहना और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by pratibha pande on May 20, 2017 at 2:03pm

  वाह  बहुत सुन्दर आदरणीय  ...एक एक शब्द अपने अन्दर ढेरों प्रश्न लिए  जो हरबार अनुत्तरित ही रहते हैं  .. हार्दिक बधाई  इस भावपूर्ण   विचारोत्तोजक सृजन के लिए 

Comment by Mohammed Arif on May 10, 2017 at 8:08am
रचना को मान देने के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 26, 2017 at 10:26pm
बहुत ही संवेदनशील भावपूर्ण रचना हुई है जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब । हार्दिक बधाई ।
Comment by Mohammed Arif on April 21, 2017 at 4:35pm
रचना को मान देने के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय विजय निकोरे जी ।
Comment by vijay nikore on April 21, 2017 at 3:24pm

बहुत ही संवेदनशील भाव । सुन्दर शब्द-गुंथन से सजी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय आरिफ़ भाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service