For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है गिला, तो गिला कीजिए(गजल)/सतविन्द्र

212 212 212
बात जो हो कहा कीजिए
दिल में ही क्यों रखा कीजिए?

चार दिन की है ये जिंदगी
बस ख़ुशी से रहा कीजिए

जो बुराई करे आपकी
आप उसका भला कीजिए।

रूठना बात अच्छी नहीं
है गिला, तो गिला कीजिए

मिल गये जब जरूरत हुई
बे ग़रज भी मिला कीजिए।

टूटता वो अकड़ता है जो
वक्त आए झुका कीजिए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 6, 2017 at 9:43pm
आदरणीय समर कबीर सर,आदरणीय नीलेश जी,इस मिसरे को पुनः परिष्कृत कर रहा हूँ!आप दोनों के मार्गदर्शन हेतू आभारी हूँ!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 6, 2017 at 9:43pm
आदरणीय समर कबीर सर,आदरणीय नीलेश जी,इस मिसरे को पुनः परिष्कृत कर रहा हूँ!आप दोनों के मार्गदर्शन हेतू आभारी हूँ!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 6, 2017 at 9:41pm
आदरणीय बृजेश भाई जी,प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया,मेहरबानी!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 6, 2017 at 9:41pm
आदरणीय बृजेश भाई जी,प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया,मेहरबानी!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 6, 2017 at 9:40pm
आदरणीय गिरिराज सर,प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत हारदिक आभार,सादर!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 6, 2017 at 9:39pm
आदरणीय आशुतोष जी प्रोत्साहन हेतु सरद हार्दिक आभार,नमन!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 6, 2017 at 11:13am

टूटता है अकड़ता है जो
सादर

Comment by Samar kabeer on May 6, 2017 at 11:08am
भाई सतविन्द्र जी फिर ये मिसरा ऐसे होगा:-
'जो अकड़ता है वो टूटता'
निलेश जी का इन्तिज़ार करते हैं ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 5, 2017 at 11:55pm
सुन्दर सरस ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ आदरणीय
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 5, 2017 at 11:11pm
आदरणीय नीलेश जी सादर,प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया।आदरणीय समर कबीर जी की इस्लाह अनुसार परिष्कार कर लिया ।आपने जिस मिसरे में है की कमी लगी,यदि है जोड़ें तो कहाँ/कैसे जोड़ें?इतना मार्गदर्शन भी करें कृपया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"यह ग़ज़ल विवशता के भाव से आरंभ होकर आशा, व्यंग्य, क्षोभ और अंत में गहन निराशा तक की यात्रा समाज में…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी आदरणीय सम्मानित तिलक राज जी आपकी बात से मैं तो सहमत हूँ पर आपका मंच ही उसके विपरीत है 100 वें…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इसी विश्व के महान मंच के महान से भी महान सदस्य 100 वें आयोजन में वही सब शब्द प्रयोग करते नज़र आ…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service