For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं (171 ) - डॉo विजय शंकर

प्यार भी कितना
अजीब होता है ,
वहां भी होता है
जहां नहीं होता है ,
तब भी होता है ,
जब नहीं होता है।......1.

नाराज़गी की
सौ वजहें होतीं हैं ,
एक प्यार है
जो बिला वजह होता है।.....2.

इस बेवफ़ाई की
कोई तो वजह होगी ,
हमारी ही वफ़ा में
कुछ कमी रह गई होगी। ......3.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 12, 2017 at 7:42am
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी ,आपकी विशद प्रतिक्रया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 12, 2017 at 7:42am
आदरणीय विजय निकोर जी , आपके अनुमोदन और प्रतिक्रया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 12, 2017 at 7:42am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ,आपकी स्वीकृति और प्रतिक्रया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 3:05pm
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, बेहतरीन क्षणिकाएँ पढ़ने को मिली, तारीफ़ में जो शब्द गुणीजनों ने जो कहा, उन शब्दों को मेरा भी शब्द समझें, सादर। बधाई आपको।
Comment by vijay nikore on January 11, 2017 at 1:30pm

बहुत ही खूबसूरत ! हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by Mohammed Arif on January 11, 2017 at 8:15am
आदरणीय विजय शंकरजी, प्रेम का अंकन करती क्षणिकाओं के लिए आपको बधाई !
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 11, 2017 at 5:09am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपने अपना शैर जोड़ कर क्षणिकाओं का सौन्दर्य बढ़ा दिया , क्षणिकाएं आपको अच्छी लगीं , खुशी हुयी। आपका दिल से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 11, 2017 at 5:06am
आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी , आपका आभार एवं धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 11, 2017 at 5:04am
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , मरासिम शब्द के प्रयोग मात्र से आपने इन क्षणिकाओं का महत्व बढ़ा दिया। मेरा प्रयास तो वैसे भी हर बात के सरल से सरल अर्थ की ओर ही रहता है। दुनियाँ तो खुद ही कुछ उलझी हुयी है , कुछ सुलझ जाए .. . .
आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Samar kabeer on January 10, 2017 at 9:25pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,आपकी दावत-ए-फ़िक्र देती क्षणिकाओं की तारीफ़ में "मुहब्बत"शीर्षक पर मेरी ग़ज़ल का एक शैर आपकी नज़्र करता हूँ :-
"ये मुहब्बत समझ में आई नहीं
देख ली हमने इन्तिहा कर के"
इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"यह ग़ज़ल विवशता के भाव से आरंभ होकर आशा, व्यंग्य, क्षोभ और अंत में गहन निराशा तक की यात्रा समाज में…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी आदरणीय सम्मानित तिलक राज जी आपकी बात से मैं तो सहमत हूँ पर आपका मंच ही उसके विपरीत है 100 वें…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इसी विश्व के महान मंच के महान से भी महान सदस्य 100 वें आयोजन में वही सब शब्द प्रयोग करते नज़र आ…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service