For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे लोकतंत्र के निर्माता - डॉo विजय शंकर

हे लोकतंत्र के निर्माता
नेताओं के भाग्यविधाता ,
तंत्र के मायाजाल से अंजान
तुम्हें ही लोकतंत्र नहीं आता।
वो दूर मंच से तुम्हें ,
शब्दों के लॉलीपॉप दिखाता ,
कोरे रंगीन सपने दिखाता और
मन ही मन अपने सपने सजाता ,
हाथ जोड़ कर तुमसे उन्हें पूरे कराता ,
और पांच साल के लिए
तुम्हारा ही भाग्यविधाता बन जाता।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2017 at 7:30pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , इस गंभीर विषय पर आपकी अभिव्यक्ति बहुत अच्छी लगी। व्यवस्था कोई भी हो , उसकी सफलता के लिए एक गंभीरता की आवश्यकता होती है , जब वही अपेक्षित रह जाती है तो व्यवस्था कमजोर और निष्प्रभावी हो जाती है। आपके विचारों के लिए ह्रदय से आभार और धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2017 at 7:23pm
आदरणीय विजय निकोर जी , आपकी उपस्थिति और अभिव्यक्ति दोनों ही सुखद रही , आशा है आप पूर्ण स्वस्थ हैं और आगे भी रहें। रचना पर आपके आगमन हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 9, 2017 at 7:23pm
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , लोक और लोकतंत्र में एक सामंजस्य का होना जरूरी होता है , सम्प्रति तो उसकी आवश्यकता है। रचना पर आपकी उपस्थित और अभिव्यक्ति दोनों के लिए आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Samar kabeer on January 9, 2017 at 4:11pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,लोकतंत्र महज़ एक तमाशा बनकर रह गया है,और हम तमाशाई बने (मदारी)निर्माता का मुंह देख रहे हैं,बहतरीन तंज़,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by vijay nikore on January 9, 2017 at 8:14am

लोकतंत्र पर यह रचना अच्छी लगी। बधाई, आदरणीय विजय जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 8, 2017 at 9:12pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर सर, लोकतंत्र और भारतभाग्य विधाताओं की वास्तविकता को उजागर करती बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2017 at 8:31pm
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्र जी , रचना के इतनेसुंदर अनुमोदन हेतु आभार , आपकी बधाई हेतु हार्दिक धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2017 at 8:29pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी , इस रचना के अनुमोदन हेतु , आभार , आपकी बधाई हेतु हार्दिक धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2017 at 8:29pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपने इस रचना को अनुमोदन किया , आभार , आपकी बधाई हेतु हार्दिक धन्यवाद , सादर।
- डॉo विजय शंकर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 8, 2017 at 10:29am
आदरणीय विजय सर मैं आपकी रचना के तथ्यों से पूरी तरह से सहमत हूँ वाकई ऐसा ही हो रहा है इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करेंसादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
14 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service