For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये दुनिया है भूलभुलैया (नवगीत)

ये दुनिया है भूलभुलैया

रची भेड़ियों ने

भेड़ों की खातिर

 

पढ़े लिखे चालाक भेड़िये

गाइड बने हुए हैं इसके

ओढ़ भेड़ की खाल

जिन भेड़ों की स्मृति अच्छी है

उन सबको बागी घोषित कर

रंग दिया है लाल

 

फिर भी कोई राह न पाये

इस डर के मारे

छोड़ रखे मुखबिर

 

भेड़ समझती अपने तन पर

खून पसीने से खेती कर

उगा रही जो ऊन

जब तक राह नहीं मिल जाती

उसे बेचकर अपना चारा

लायेगी दो जून

 

पर पकते ही फसल भेड़िये

दाम गिरा देते

हैं कितने शातिर

 

ऊन मांस की ये सप्लाई

ऐसे ही पीढ़ी दर पीढ़ी

सदा रहे कायम

भाँति भाँति का नशा बाँटकर

इसीलिए सारी भेड़ों को

किया हुआ बेदम

 

सब तो साथ भेड़ियों के हैं

तंत्र और संसद

मस्जिद और मंदिर

-----------

(मौलिक एवंं अप्रकाशित)

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 10, 2017 at 2:22pm

आदरणीय समर कबीर जी, सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, मिथिलेश जी, सुशील जी एवं गिरिराज जी। रचना पर आपके आगमन और उत्साहवर्धन हेतु हृदयतल से आपका आभारी हूँ। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2017 at 4:19pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , कटाक्ष करता हुआ अच्छा गीत रचन है आपने , दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2017 at 7:22pm

आदरणीय वर्तमान परिस्थितियों पर कटाक्ष करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। ये दुनिया है भूलभुलैया तो ठीक है लेकिन
रची भेड़ियों ने भेड़ों की खातिर ?


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 11, 2017 at 3:28pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, आपने तीखा कटाक्ष करता बहुत शानदार गीत लिखा है. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 2:49pm
आद0 धर्मेंद्र जी सादर अभिवादन, यह दुनिया है भूल भुलैया, बात तो एकदम सही है, पर इसको रचने वाले भेड़िया है इस बात से हम सहमत नहीं है, हाँ कुछ मक्कार लोगो ने भले हमे अपने जाल में उलझा रखा है यह बात एकदम दुरुस्त है। आगे आपने जो भी लिखा है उससे मैं पूरी तरह सहमत हूँ, और काबिलेतारीफ रचना है आपकी, पूरी सिद्दतसे आपकी रचना की तारीफ़ करता हूँ, सिवाय उक्त कथन के, सादर
आपको बेहतरीन सृजन के लिए ह्रदय तल से बधाई । सादर
Comment by Samar kabeer on January 11, 2017 at 2:16pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत अच्छा नवगीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service