For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे
----------

१.
केवल धन की चाह में,भूला खान व पान
आपा-धापी में सदा, पड़ा रहे इंसान।
२.
बुद्धिमान भी मूढ़ है,क्रोध चले जब जीत
पलभर में ही खत्म हो,वर्षों की सब प्रीत।
३.
सबको दें उपदेश जो,हो खुद उससे दूर
कोरी उस बकवास को,क्यों सब मानें नूर।
४.
पढ़े शास्त्र को बैठ कर,नीयत हो नापाक
बस झूठे ही ज्ञान से,फिरे जमाता धाक।
५.
ढाई आखर प्रेम के,रखते शक्ति अपार
वहाँ चली तलवार कब,जहाँ चला है प्यार।
६.
कलम उठा कर मैं लिखूँ, यह दोहा सन्देश
कृपा करें माँ शारदे,साथी हों सर्वेश!


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 27, 2016 at 1:10pm
आदरणीया अल्का चंद्रा जी सादर हार्दिक आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 12, 2016 at 12:17pm
श्रद्धेय सौरभ सर सादर नमन! मैं सतत प्रयत्नशील हूँ।आशा है कि शीघ्रता से से ही मैं कथ्य को भी सही रूप से प्रस्तुत करने में सफल होने लगूँगा।आपका प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन मेरे लिए अमूल्य है।सादर हार्दिक आभार।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 8, 2016 at 11:59pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी कोशिशों से अपार खुशी होती है. आप सतत प्रयासरत रहें. 

दोहे समाज को अच्छी तरह से नैतिक और वैधानिक चेताव्नी देते हुए हैं. यह दोहों का नैसर्गिक स्वरूप है. या, इन्हीं भाव के सथ अधिकांश दोहे हुआ करते थे. वैसे अव समय बहुत बदल गया है.

यह अवश्य है कि अपनी प्रस्तुतियों की संप्रेषणीयता पर भी ज़ोर दिया करें. अन्यथा रचनाएँ जो कहना चाहती हैं वह अभिव्यक्त होने से रह जायेगा. इस विन्दु के बरअक्स आपके पिछले पोस्ट पर मैंने उदाहरण भी साझा किया था. 

प्रस्तुति और सहभागिता केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ ..

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 8, 2016 at 6:04pm

बहुत सुंदर  दोहे आदरणीय सतविन्द्र जी | हार्दिक बधाई |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 5:01pm
सराहना के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा पांडे जी।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 5:00pm
आदरणीया कल्पना दीदी प्रयास को पसंद कर हौंसला बढाने के लिए सादर हार्दिक आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 4:59pm
आदरणीय समर कबीर जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार एवं सादर नमन।
Comment by pratibha pande on September 8, 2016 at 11:59am

सुन्दर  दोहे ..आदरणीय लडीवाला जी द्वारा बताये  सुझाव भी अच्छे हैं..हार्दिक बधाई आपको  आदरणीय सतविंदर जी   

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 7, 2016 at 10:53pm

सुंदर प्रयास हुआ है आदरणीय सतविन्द्र जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Samar kabeer on September 7, 2016 at 10:35pm
जनाब सतविंदर कुमार जी आदाब,छंदों पर आपका अभ्यास चरम पर है ये देख कर ख़ुशी होती है,बहुत बढ़िया दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service