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आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी कोशिशों से अपार खुशी होती है. आप सतत प्रयासरत रहें.
दोहे समाज को अच्छी तरह से नैतिक और वैधानिक चेताव्नी देते हुए हैं. यह दोहों का नैसर्गिक स्वरूप है. या, इन्हीं भाव के सथ अधिकांश दोहे हुआ करते थे. वैसे अव समय बहुत बदल गया है.
यह अवश्य है कि अपनी प्रस्तुतियों की संप्रेषणीयता पर भी ज़ोर दिया करें. अन्यथा रचनाएँ जो कहना चाहती हैं वह अभिव्यक्त होने से रह जायेगा. इस विन्दु के बरअक्स आपके पिछले पोस्ट पर मैंने उदाहरण भी साझा किया था.
प्रस्तुति और सहभागिता केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ ..
बहुत सुंदर दोहे आदरणीय सतविन्द्र जी | हार्दिक बधाई |
सुन्दर दोहे ..आदरणीय लडीवाला जी द्वारा बताये सुझाव भी अच्छे हैं..हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सतविंदर जी
सुंदर प्रयास हुआ है आदरणीय सतविन्द्र जी | हार्दिक बधाई |
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