For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही मिसरा:जनाब समर कबीर जी

खजां से अब खफ़ा मन हो गया है
कि बंजर आज गुलशन हो गया है।

रहे जिसकी इबादत में सदा हम
खफ़ा हमसे वो' भगवन हो गया है।

नशे में खो गयी सारी जवानी
सभी का खोखला तन हो गया है।

मिटा नफरत बसाया प्यार दिल में
"मेरे सीने की धड़कन हो गया है।"

करें खुशहाल हम अपने वतन को
उसी पर तो फ़िदा मन हो गया है।

चलो सचकी पकड़ के राह 'सत्तू'
सही सबका ही' जीवन हो गया है।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 8, 2016 at 5:04pm
आभार आदरणीया कल्पना दीदी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 7, 2016 at 11:10pm

अरे वाह आदरणीय सत्विन्द्र भैया अच्छी ग़ज़ल हुई है |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 6, 2016 at 5:08pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,सादर वन्दन सँग आभार रचना पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 6, 2016 at 5:04pm
श्रद्धेय सौरभ सर सादर वन्दे!आपसे अनुमोदन एवं सराहना पाना प्रयास को सार्थकता प्रदान करता है।सादर हार्दिक आभार श्रद्धेय!सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 6, 2016 at 4:14pm
प्रयास पर पुनः हाज़िर होकर हौंसला बढ़ाने के लिए तहेदिल शुक्रिया आदरणीय समर कबीर साहब।सादर वन्दे।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2016 at 12:16pm

आदरनीय सतविन्द्र भाई , अच्छी गज़ल हुई है , दिली मुबारक बाद कुबूल करें ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 5, 2016 at 1:32pm

एक बामानी मिसरे पर मानीखेज़ ग़ज़ल हुई है आदरणीय सतविन्द्र जी. उम्दा मिसरा और आपकी मेयारी कोशिश, ग़ज़लका उम्दा होना ही था. आपकी कोशिशें मुग्ध करती हैं.

सतत साधनारत रहें, आदरणीय. दिल की गहराइयों से दाद कह रहा हूँ. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by Samar kabeer on September 5, 2016 at 10:39am
अब ये ठीक है सतविंदर भाई,पुनः बधाई आपको ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 4, 2016 at 11:00pm
अनुमोदन एवं सरआहना के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी।संशोधन का निवेदन क्र रहा हूँ।कृपया दोबारा गौर फरमाएं!
Comment by Samar kabeer on September 4, 2016 at 6:10pm
जनाब सतविंदर कुमार जी आदाब,नाचीज़ के मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
तीसरे शैर में क़ाफ़िया दोष है,देखियेग । इसी तरह गिरह का मिसरा लय में नहीं है,इसे भी दुरुस्त कीजियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service