For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: पास रह कर भी न हम तेरे हुए.

2122-2122-212

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

 

झूठ की बुनियाद पर रिश्ते हुए,

ख़त्म सारे वास्ते उस से हुये.

 

बेवजह तुमने  मिटाईं दूरियां,

पास रह कर भी न हम तेरे हुए.

 

गाल पर गिर कर भी जो लहरा रहे,

हर नज़र में कान के झुमके हुए.

 

जिंदगी से आज भी उम्मीद है,

हम नहीं रहते हैं अब सहमे हुए.

 

आपसे अक्सर  सुना मैंने  सनम

चार दिन की चांदनी कहते हुए

 

है मुखौटा आदमी का आज कल,

रुख के ऊपर दूसरा ओढ़े  हुए.

.

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 1353

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 24, 2016 at 3:50pm
सबसे पहले तो जवाब देर से देने के लिये माज़रत चाहता हूँ,कारण,तबीयत ख़राब थी और दूसरी समस्या ये कि नेटवर्क भी नहीं मिल रहा था।
ऐब-ए-तनाफुर उसे कहते हैं कि किसी शब्द का आख़री अक्षर और उसके बाद के शब्द का पहला अक्षर एक हों,जैसे आपके मिसरे में "उस से" 'स'पे खत्म 'स'से शुरू,उम्मीद है आपने समझ लिया होगा ।
Comment by Samar kabeer on July 24, 2016 at 3:49pm
सबसे पहले तो जवाब देर से देने के लिये माज़रत चाहता हूँ,कारण,तबीयत ख़राब थी और दूसरी समस्या ये कि नेटवर्क भी नहीं मिल रहा था।
ऐब-ए-तनाफुर उसे कहते हैं कि किसी शब्द का आख़री अक्षर और उसके बाद के शब्द का पहला अक्षर एक हों,जैसे आपके मिसरे में "उस से" 'स'पे खत्म 'स'से शुरू,उम्मीद है आपने समझ लिया होगा ।
Comment by Abha saxena Doonwi on July 21, 2016 at 3:09pm

आदरणीय Samar Kabeer जी  नमस्कार ,आपकी  प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका .....मुझे शुतरगुरबा  दोष के  बारे में तो  मालूम  है पर ऐब-ए-तनाफुर दोष के बारे  में नहीं जानती हूँ ..कृपया जानकारी दीजिये ..शुक्रिया .....

Comment by Samar kabeer on July 20, 2016 at 6:27pm
मोहतरमा आभा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुवा है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
मतले में ऐब-ए-तनाफुर का दोष है,
दूसरे शैर में शुतरगुरबा का दोष है, देखिएगा ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 20, 2016 at 4:55pm
उम्दा ग़ज़ल आदरणीयाआदरणीया आभा सक्सेना जी।हार्दिक बधाई।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 1:39pm

बेवजह तूने मिटाईं दूरियां,

पास रह कर भी न हम तेरे हुए..........वाह ! बहुत खूब.

आदरणीया आभा सक्सेना जी सादर, बहुत उम्दा गजल कही है. बहुत-बहुत बाधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by Abha saxena Doonwi on July 20, 2016 at 6:21am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपने  मेरी इस ग़ज़ल पर अपनी प्रतिक्रिया  दी  इस के लिए मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ शुक्रिया .....:)

Comment by Abha saxena Doonwi on July 20, 2016 at 6:20am

आदरणीय सुशील सरना जी आपने  मेरी इस ग़ज़ल पर अपनी प्रतिक्रिया  दी  इस के लिए मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ शुक्रिया .....:)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 19, 2016 at 6:45pm

आदरणीया आभा की , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , हार्दिक बधाइयाँ आपको ।

Comment by Sushil Sarna on July 19, 2016 at 4:51pm

आपसे अक्सर सुना मैंने सनम
चार दिन की चांदनी कहते हुए

है मुखौटा आदमी का आज कल,
रुख के ऊपर दूसरा ओढ़े हुए.

वाह बहुत सुंदर अहसासों की ग़ज़ल ... हार्दिक हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service