For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल .........कैसे कहूं कि तू मुझे चिट्ठी ही भेज दे ...

कैसे कहूँ कि तू मुझे चिट्ठी ही भेज दे,

तू है जहाँ वहां की तू मिट्टी ही भेज दे.

 

याद आ रही है मुझको तेरी आज इस तरह,

तू प्यार से लिख चिट्ठियां कोरी ही भेज दे.

 

करता तलाश नौकरी कैसे बता मिले,

चिठ्ठी नहीं तो तू मेरी अर्जी ही भेज दे.

 

बेज़ार हो चुकी बहुत  तनहाइयों से मैं,

बेशक तू कोई याद पुरानी ही भेज दे.

 

इस  जिंदगी की राह में कांटे बिछाये क्यूँ,

तू ज़िंदगी के नाम की रुबाई ही भेज दे.

 

मेहँदी रचाई हाथ में तेरे ही नाम की,

जब रच गयी है मेहँदी तो डोली ही भेज दे

.

“आभा” को याद  आ गई भूली सी दास्तान,

तू उसको चेहरे की हंसी थोड़ी सी भेज दे.

 

..आभा

 

 प्रस्तुत ग़ज़ल अप्रकाशित एवं मौलिक  है ....आभा 

 

 

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abha saxena Doonwi on July 21, 2016 at 2:25pm

 नमस्कार दोस्तों ,मुझे ऐब-ए-तनाफुर दोष के  बारे  में नहीं मालूम  है मैं आपनी जानकारी के लिए इस दोष  के  बारे  में जानना चाहती हूँ  शुक्रिया .....

Comment by Abha saxena Doonwi on July 20, 2016 at 6:24am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी आपने  मेरी इस ग़ज़ल पर अपनी प्रतिक्रिया  दी  इस के लिए मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ शुक्रिया .....:)

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2016 at 9:16am
आभा जी इस प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनायाएं स्वीकार करें सादर
Comment by Abha saxena Doonwi on July 8, 2016 at 2:12pm

आदरणीय  सुशील सरना जी  नमस्कार , मैं  आपकी प्रतिक्रिया  से सहमत हूँ  आगामी  ग़ज़लों में इस बात का ध्यान रखा  जायेगा बहुत बहुत  शुक्रिया  आपका .....मेरी  ग़ज़ल में  या  फिर अन्य किसी  रचना  में कोई  भी ख़ामी नज़र  आये तो  आप निःसंकोच बता  सकते  हैं ..

Comment by Abha saxena Doonwi on July 8, 2016 at 2:09pm

आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी  नमस्कार , मैं  आपकी प्रतिक्रिया  से सहमत हूँ  आगामी  ग़ज़लों में इस बात का ध्यान रखा  जायेगा बहुत बहुत  शुक्रिया  आपका .....

Comment by Ravi Shukla on July 8, 2016 at 11:11am

आदरणीयाा आभा जी गजल के प्रयास के लिये आपको बधाई  मनोज की बात से हम भी सहमत है  और गजल से पहले उसका अरकान या बह्र लिख दिया करे समझने मे आसानी हाेेती है और यह मंच का अनुशासन भी है सादर 

Comment by Sushil Sarna on July 7, 2016 at 1:52pm

अादरणीय अाभा जी सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। इस ग़ज़ल की बहर भी लिख देते तो अच्छा होता।  

Comment by मनोज अहसास on July 7, 2016 at 10:01am
नमस्कार आदरणीया
इस प्रस्तुति में ह्रदय की तीव्र कोमल भावनाये भरी हुई हैं
खूब जज़्बाती रचना
बहुत कुछ कहने की चाह
कुछ सफलता कुछ नहीं
बहुत बहुत बधाई

एक बात ये कि इसे ग़ज़ल बनाने के लिये अभी इसमें कुछ परिवर्तन करने क
पड़ेंगे
मंच पर बहुत सुधी ज्ञानी ग़ज़लकार आपको अधिक बता पायेगे
सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
yesterday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service