For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“तुम ऐसा नहीं कर सकते आकाश, तुम इस तरह मुझे धोखा नहीं दे सकते I”

“परी मैं तुम्हें धोखा नहीं दे रहा हूँ मैं तो उल्टे तुम्हें सच बता रहा हूँ I अगर मैं चाहता तो दोनों रिलेशंस बनाये रखकर तुम्हें आसानी से चीट कर सकता था पर मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं झूठ में विश्वास नहीं करता I जब हमारे रिश्ते में कुछ बचा ही नहीं है तो  फिर इसे घिसटने का कोई मतलब नहीं है कम से कम अब तुम मुझसे आज़ाद होकर अपने जीवन की नयी शुरुआत तो कर सकती हो वैसे भी अगर यह सब हमारी शादी के बाद होता तो तुम्हें अधिक दुख पहुँचता I”

“हमारे रिश्ते में अगर कुछ नहीं बचा है तो वह है तुम्हारा प्यार , वरना मैंने इस रिश्ते को निभाने में कभी कोई कमी नहीं रखी I तुम्हें  मेरे दुख का अहसास तब होगा जब कोई तुम्हारी बहन के भी  साथ ऐसा ही करेगा I”

"खबरदार परी  ! अगर आइन्दा मेरी बहन के बारे में इस तरह से बात की तो... मैं भूल जाऊँगा कि मेरा कभी तुमसे कोई रिश्ता था और तुम्हें क्या लगता है मैं उस इंसान को छोड़ दूँगा उसका खून न कर दिया तो मैं भी अपने बाप की औलाद नहीं...."

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 805

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on September 5, 2015 at 9:41pm

धन्यवाद ओमप्रकाश जी ,धन्यवाद सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 4, 2015 at 12:22am

बहन को लेकर यह नपुंसक आक्रोश कापुरुषों का गुण है.  

आदरणीया तनुजाजी, आपने भी रोचक ताना-बाना बुना है. वैसे यह विषयवस्तु अब बहुत नया नहीं रह गया है.  इस प्रस्तुति केलिए शुभकामनाएँ. 

Comment by Omprakash Kshatriya on September 3, 2015 at 9:10pm
आ तनुजा जी बहुत ही कटु बात कही है । बधाई ।
Comment by Tanuja Upreti on September 3, 2015 at 6:02pm

प्रोतसाहन हेतु आभार. मिटहिलेश जी ,आभार तेज वीर जी,आभार जितेंद्र जी ,आभार सीमा जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 3, 2015 at 5:53pm

आदरणीया तनूजा जी, एक कटु सत्य को उद्घाटित करती लघुकथा की प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by TEJ VEER SINGH on September 3, 2015 at 2:29pm

हार्दिक बधाई  आदरणीय  तनूजा उप्रेती जी!वर्तमान में समाज में इस तरह के प्यार की हवा खूब बह रही है!जब जी चाहे अपना रास्ता बदल लो!मेरे विचार से आज के माहौल में लडकियों को विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है!बहुत सुन्दर लघुकथा!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 2, 2015 at 9:24pm

सुंदर लघुकथा ,आदरणीया तनूजा जी. यह एक कटु सच्चाई है और इंसानी फितरत भी. प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by Seema Singh on September 2, 2015 at 9:15pm

वाह रे मर्द... दूसरे के सपने तार तार कर दिए और अपनी कल्पना मात्र से ये तेवर.... बहुत खूब ! शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनायें.. 

Comment by Tanuja Upreti on September 2, 2015 at 9:11pm

आप सभी का आभार

Comment by Ravi Prabhakar on September 2, 2015 at 6:36pm

अच्‍छा !  जब अपने पे बात आई तो ऐसी तिलमिलाहट । बहुत खूबसूरत ताना बाना बुना है आपने आदरणीय तनुजा जी । सादर शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।उत्तम गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"याद रख रेत के दरिया को रवानी लिखनाभूलता खूब है अधरों को तू पानी लिखना।१।*छीन लेता है …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आप अपने विचार सुझाव व शिकायत के अंतर्गत रख सकते हैं। सुझाव व शिकायत हेतु पृथक…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आपको।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, तरही मिसरे पर अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, तरही मिसरे पर अति सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतना काफ़ी भी नहीं सिर्फ़ कहानी लिखना तुम तो किरदार सभी के भी म'आनी लिखना लिख रहे जो हो तो हर…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"२१२२ ११२२ ११२२ २२ बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी…"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं इस मंच पर मौजूद सभी गुनीजनों से गुज़ारिश करता हूँ कि ग़ज़ल के उस्ताद आदरणीय समर गुरु जी को सह…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 1122 1122 22 इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखनाएक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"भूलता ही नहीं वो मेरी कहानी लिखना।  मेरे हिस्से में कोई पीर पुरानी लिखना। वो तो गाथा भी लिखें…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service