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मेरी हर शायरी में हर ग़ज़ल में आप ही तो हैं
मेरे हर नज़्म की होती पहल में आप ही तो हैं
मुझे तो ज़िन्दगी के रंग सारे ठीक लगते थे
किसी भी रंग के रद्दोबदल में आप ही तो हैं
मैं कितनी भी रखूँ दूरी हमेशा पास में हो आप
मेरे दिल में बना है उस महल में आप ही तो हैं
ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी
मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं
अलग कब आप हो मुझसे, हवायें हों मुख़ालिफ तो
अदावत से मिले सारे गरल में आप ही तो हैं
किसे देखूँ किसे छोड़ूँ बतायें आप ही मुझको
नज़र के सामने सारे पटल में आप ही तो हैं
बहारों में नजारों में सभी नदियों में झरनों में
कली में, फूल में, खिलते कमल में आप ही तो हैं
मेरे ख़्वाबों ख़यालों में मेरे लम्हों में, सदियों से
मेरी हर सोच के सारे अमल में आप ही तो हैं
यहाँ जब और कोई है नहीं बस आप हैं,तो फिर
ये सारे हो रहे जंगो जदल में आप ही तो हैं
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय आशुतोष भाई , आपको भी दिपावली की बधाइयाँ । ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ।
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आप सब की दुआओं से तबीयत ठीक है , फोन ट्रांसफर नही हो पाने से ब्राडबैंड नही चला पारहा हूँ , डोंगल लिया है जो बहुत धीमा है , किसी तरह आप लोगों से जुड़ पा रहा हूँ । बाक़ी सब ठीक है ।
ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह्वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ , स्नेह बनाये रखियेगा ।
आदरणीया प्राची जी , आपकी सराहना ने तो मेरा गज़ल कहना सार्थक कर दिया । उत्साह्वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय गिरिराज भाई साब ..सबसे पहले तो दिवाली की ढेर सारी बधाई ..काफी दिनों के बाद आपकी एक और बेहतरीन ग़ज़ल पढने का मौका मिला..इस ग़ज़ल का खूब लुत्फ़ उठाया आपको हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर ..
ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी
मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं इस
बहारों में नजारों में सभी नदियों में झरनों में
कली में, फूल में, खिलते कमल में आप ही तो हैं इन शेरो के लिए बिशेस रूप से बधाई सादर
ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी
मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं वह =-- वाह ---------------i मित्र आशा है आप स्वस्थ और सानन्द होंगे i
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
बतौर पाठक....बहुत देर तक हर शेर में रुके रहने और झूम जाने का दिल किया
बहुत खूबसूरत
हार्दिक बधाई
वाह वाह !! दिल को छू जाने वाली ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आ० गिरिराज भंडारी जी।
किसे देखूँ किसे छोड़ूँ बतायें आप ही मुझको
नज़र के सामने सारे पटल में आप ही तो हैं
आदरणीय गिरिराजशरण जी ,मुश्किल रदीफ़ के साथ नये काफ़िये बख़ूबी निभाये हैं आपने ,इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाई |सादर अभिनन्दन
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