For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब तुम्हारे बिना ये सूना सफ़र निभाया नहीं जाता।

ये दर्द कुछ ऐसा है,जो सबको बताया नहीं जाता।
ये ग़म कुछ ऐसा है,जो सबको सुनाया नहीं जाता।
ज़िन्दगी तेरा साथ अब तक बहुत निभाया हमने,
पर अब हमसे यह साथ और निभाया नहीं जाता।
हर ज़ख्म पर रोने की जगह हँसते रहे हम उम्र भर,
पर अब हमसे बेवजह और मुस्कराया नहीं जाता।
छोटी -छोटी खुशियाँ ही तो मांगीं थी तुझसे  हमने,
पर दर्द मिला जो इस दिल में समाया नहीं जाता।
 हर वक़्त सही नाउम्मीदी,नाकामी और बेबसी,
पर अब तुझसे अपना मज़ाक उड़वाया नहीं जाता।
सपने देखकर हमने भी उन्हें पूरा करना चाहा था,
पर अब उनकी टूटन का बोझ उठाया नहीं जाता।
दो क़दम साथ तुम चले तो ये ज़िंदगी हसीं हो गयी,
अब तुम्हारे बिना ये सूना सफ़र निभाया नहीं जाता।
ख़ुद की आँखों में भरा हो चाहे आँसुओं का समंदर,
पर जिससे प्यार हो,उसे कभी रूलाया नहीं जाता।
चाहे तुम लाख बहाने बना लो मुझसे दूर होने को,
पर दिल में बसे प्यार को कभी छुपाया नहीं जाता।
कितना भी दर्द ज़िंदगी से क्यों न मिला हो भला,
पर जो जां से प्यारा हो उसे कभी सताया नहीं जाता।
प्यार का ज़ज़्बा आँखों से और बातों से बयां होता है,
बार - बार कहकर यह एहसास जताया नहीं जाता।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on July 13, 2013 at 10:55am

आदरणीय वीनस जी,आपके प्रशंसात्मक और प्रेरणात्मक शब्दों ने मुझे अत्यंत उत्साहित किया है और मेरा आगे भी यह प्रयास रहेगा कि मैं आप सभी की आशाओं के अनुरूप अच्छा लिख सकूँ।वैसे तो मैं गद्य और पद्य दोनों ही लिखती हूँ। गद्य में तो मैंने अलग -अलग विधाओं पर लिखा है पर पद्य में केवल कविता ही लिखती थी,किन्तु आप और आप जैसे कुछ लोगों की ग़ज़ल रचनाओं से प्रभावित होकर इस और लेखन का प्रयास प्रारंभ किया है।आगे भी अच्छे लेखन हेतु तत्पर रहूँगी। आभार !

Comment by Savitri Rathore on July 13, 2013 at 10:45am

आदरणीय प्राची जी,आपने मेरी रचना में विद्यमान भावों को ग्रहण कर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त की,जिसके लिए मैं आपकी आभारी हूँ।आपके प्रेरणास्पद शब्द मुझे और अच्छा लेखन करने को प्रेरित करते हैं।आभार !

Comment by Savitri Rathore on July 13, 2013 at 10:41am

आदरणीय राम शिरोमणि जी,उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 3:15pm

बधाई स्वीकारें आदरणीया.

प्रयासरत रहें. ..

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 11, 2013 at 2:48pm

//ये दर्द कुछ ऐसा है,जो सबको बताया नहीं जाता।
ये ग़म कुछ ऐसा है,जो सबको सुनाया नहीं जाता।


ज़िन्दगी तेरा साथ अब तक बहुत निभाया हमने,
पर अब हमसे यह साथ और निभाया नहीं जाता।//

 

सावित्री जी, शायर जितना मग़्मूम हो अशआर उतने ही जज़्बाती हो जाते हैं, अपनी इस रचना में आपने अपना दिल निकाल के रख दिया हो ऐसा लग रहा है बधाई आपको इस रचना के लिए.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2013 at 12:10pm

निःसंदेह मुहब्बत में जब चोट लगती है तो उसके दर्द का एहसास कैसा होता है उसके बहुत ही सलीके से बयां किया है आपने. इस हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 1:37am

बहुत शानदार प्रयास है
बधाई स्वीकारें
निश्चित ही आने वाला कल आपका है ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2013 at 11:27pm

प्रिय सावित्री राठौर जी 

अजीब सी कशमकश होती है मोहब्बत..जो भाव सबसे बड़ी खुशी का एहसास हो .उसके साथ ही इतने do's and don'ts जुड़े होते हैं ..

दर्द से निस्सृत इन कराहों को शब्दबद्ध कर अभिव्यक्त करने के लिए हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on July 10, 2013 at 5:29pm

सुन्दर रचना //हार्दिक बधाई आपको आदरणीया/// प्रयासरत रहें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service