For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चन्द्रलोक की सारी सुषमा, आज लुप्त हो जाती है।
लोल लहर की सुरम्य आभा, कचरों में खो जाती है
चाँदी जैसी चंचल लहरें, अब कब पुलकित होती हैं
देख दुर्दशा माँ गंगा की, हरपल आँखे रोती हैं।

बस कागज पर निर्मल होती, मीठी-मीठी बातों से।
कल्पनीय चपला जस शोभित, होती हैं सौगातों से।
व्यथित सदा ही गंगा होती, मानव के संतापों से।
फिर कैसे वह मुक्त करेगी, उसे भयंकर पापों से।

एक समय था गंगा लहरें, उज्ज्वल रूप दिखाती थी।
धवल मनोहर रात चाँदनी, गंगा में दिख जाती थी।
पावन सलिला मोक्ष दायिनी, हमें बहुत हर्षाती थी।
नभ अवनी से मिलकर गंगा, सुषमा को झलकाती थी।

आज प्रतिज्ञा हम करते हैं, गंगा स्वच्छ बनाएँगे।
जीव जगत के हित में सारे, मिलकर इसे बचायेंगे
कूड़ा कचरा औ मलबा हम, हरगिज नहीं बहाएँगे।
सुख हित साबुन तेल लगा कर, उसमें नहीं नहाएँगे।

सुक पिक मोर रोर कर तट पर, सुंदर गीत सुनाएँगे।
स्वच्छ धार में क्रीड़ा करके, सबका जी बहलाएँगे।
गंग दशहरा तभी सफल है, जब सब आगे आएँगे।
पुण्य भगीरथ के सपनों को, दिल से सभी सजाएँगे।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 5, 2020 at 11:13am

आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on June 4, 2020 at 7:26am

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन आपके उत्साहवर्धन से लेखनी सफल हुई आपका बहुत बहुत आभार

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on June 4, 2020 at 7:25am

परमादरणीय समर साहब जी सादर अभिवादन आपके उत्साहवर्धन से मन प्रसन्न हुआ आपका दिल से आभार

Comment by Sushil Sarna on June 3, 2020 at 9:26pm

वाह बहुत सुंदर आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी ... माँ गंगा को समर्पित एक अतुंलनीय सृजन। शब्द सौंदर्य देखते ही बनता है। इस उत्तम सृजन के लिए दिल से बधाई।

Comment by Samar kabeer on June 2, 2020 at 3:18pm

जनाब डॉ. छोटेलाल सिंह जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service