सूरज सजीले साल का
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ठंड से ठिठुरती सुनसान गलियां
ओसाए हुए से सुन्न पड़े खेत
घुटती जमती लाचार सी जिंदगी
धुंध के आगोश में गुम होता जीव - जगत
ठिठुरती ठिठुरन को दूर करने
आ गया सजकर सूरज
नए नवेले सजीले साल का ।
शीत सी शीतल होती मानवता
नूतन निर्माण करने
निचले - कुचले
पद - दलित का कल्याण करने
साधु सन्यासी का त्राण करने
विप्लव का…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 31, 2024 at 7:57pm — No Comments
नूतन वर्ष
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दुल्हन सी सजी-धजी
गुजर रहे साल की अंतिम शाम ।
लोग मग्न हैं
जाने वाले वर्ष की विदाई में
कुछ नवागंतुक के स्वागत में।
कोई मंत्र उच्चारण - हवन करने में …
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 31, 2024 at 7:35pm — 3 Comments
एक बूँद
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सिहर गया तन - बदन
झूम उठा रोम - रोम
नयनों के कोने से मस्ती की झलक
कदमों की शिथिलता
होती हुई गतिमान
मन में उठती लहरें जैसे
बातें कर रहा हो हवा से अश्व
सबकुछ लगता बदला - बदला सा
जब तन से तन्मय हुई
एक बूँद प्रेम की छुअन ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 23, 2024 at 11:19am — 1 Comment
मुझे बता दो कोई
मेरी कविता की कोई कमियाँ
मेरी ही नहीं
चाहने वालों के संग
न चाहने वालों की भी
मात्र कविता ही नहीं
जिंदगी भी
सुधारना चाहता हूँ मैं
प्रशंसा सुनना चाहता है मन
कमियाँ बुरी लगती हैं।
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 23, 2024 at 9:59am — No Comments
कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।
मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।
ब्रह्मसरोवर तीर पर, सजता संगम सार।
बरसे गीता ज्ञान की, मार्गशीर्ष में धार।2।
पावन अगहन मास में, करके यमुना स्नान।
अन्न वस्त्र के दान से, खुश होते भगवान।3।
चुपके - चुपके सर्द ले, मार्गशीर्ष की ओट।
स्वर्णकार ज्यों मारता, धीमी - धीमी चोट।4।
साइबेरियन सर्द में, खग करते परवास।
भारत भू पर शरण लें, मार्गशीर्ष में…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 9, 2024 at 8:30pm — 1 Comment
वह दरदरी दरी का रंगीन झोला
डाकिए की तरह कंधे पर लटका कर
हाथ में लकड़ी की तख्ती लेकर
विद्यालय जाना
पुरानी काली कूई पर
तख्ती पोंछकर मुल्तानी मिट्टी मलना
धूप में सुखाकर सुलेख लिखना
और वाहवाही लूटना
मेरे सुखद अनुभव जिनसे
अगली पीढ़ियाँ अनभिज्ञ रहेंगी।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 4, 2024 at 2:00pm — 3 Comments
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