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बासुदेव अग्रवाल 'नमन''s Blog – November 2016 Archive (2)

ग़ज़ल (बना है बोझ ये जीवन।)

1212 1122 1212 1122

(मुज़तस मुसम्मन मखबून)



बना है बोझ ये जीवन कदम थमे थमे से हैं,

कमर दी तोड़ गरीबी बदन झुके झुके से हैं।



लिखा न एक निवाला नसीब हाय ये कैसा,

सहन ना भूख ये होती उदर दबे दबे से हैं।



पड़े दिखाई नहीं अब कहीं भी आस की किरणें,

गगन में आँख गड़ाए नयन थके थके से हैं।



मिली सदा हमें नफरत करे जलील जमाना,

हथेली कान पे रखते वचन चुभे चुभे से हैं।



दिखी कभी न बहारें मिले सदा हमें पतझड़,

मगर हमारे मसीहा कमल खिले खिले… Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on November 21, 2016 at 6:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल (अनमोल क्षण)

बहर :- 2212 2212 2212 2212

(हरिगीतिका छंद)



अनमोल क्षण जीवन के जो मन में बसा हरदम रखें,

जो जिंदगी के खाश पल उर से लगा हरदम रखें।



जिन याद से मस्तक हमारा शान से ऊँचा उठे,

उन याद के ख्वाबों को सीने में जगा हरदम रखें।



सन्तोष जो हमको मिला जब स्वप्न पूरे थे हुए,

उन वक्त के रंगीन लमहों को बचा हरदम रखें।



जब कुछ अलग हमने किया सबने बिठाया आँख पे,

उन वाहवाही के पलों को हम सजा हरदम रखें।



जो आग दुश्मन ने लगाई देश में आतंक…

Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on November 3, 2016 at 10:30am — 3 Comments

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