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आदरणीय वासुदेव भाई ,
कदम थमे हुए से हैं
बदन झुके हुए से है
उदर दबे हुए से है --- सही है - थमे , झुके , दबे -- में ए मात्रिक काफिया मान्य है , और हुये से हैं रदीफ । आप ऐसा किया जा सकता है ।
आदरणीय वासुदेव भाई , रचना के भाव अच्छे हैं , बहर भी अच्छे से निभाया है आपने , लेकिन काफिया नही होने से आपकी रचना गज़ल होने से रह गई है । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है , पर गज़ल नही होपायी । प्रयास के लिये आपको हार्द्क बधाइयाँ ।
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