1222 1222 122
न जाने क्या हुई हमसे ख़ता है
हमारा यार जो हमसे खफ़ा है।
यूँ ही बदनाम हाकिम को हैं करते
यहाँ प्यादा भी जब जालिम बड़ा है।
जरा सींचो भरोसा तुम जड़ों में
शज़र रिश्तों का इन पर ही खड़ा है।
उसी ने छू लिया है आसमाँ को
परिंदा जो गिरा, गिर कर उठा है।
नहीं हमदर्द होता आदमी जो
सहारा गलतियों में दे रहा है।
अमा की रात में महताब आया
तुम आये तो हमे ऐसा लगा है।
मौलिक…
ContinueAdded by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2018 at 6:30pm — 10 Comments
122 122 122 122
सुना ठीक है सिरफिरा आदमी हूँ
उसूलों का पाला हुआ आदमी हूँ।
हमेशा ही जिसने सही बेवफ़ाई
जमाने में वो बावफ़ा आदमी हूँ।
कि मौजें मुझे दूर खुद से करेंगी
अभी मैं भँवर में फँसा आदमी हूँ।
डिगायेगी कैसे मुझे कोई आफ़त
मैं चट्टान जैसा खड़ा आदमी हूँ।
रहा साथ जिसके जरूरत में अक्सर
कहा है उसी ने बुरा आदमी…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 26, 2018 at 10:00am — 9 Comments
कुछ मुक्तक
1.
आग सीने में मगर आँखों में पानी चाहिए
साथ गुस्से के मुहब्बत की रवानी चाहिए
हाथ सेवा भी करें और' उठ चलें ये वक्त पर
ज़ुल्मतों से जा भिड़े ऐसी जवानी चाहिए।
2.
शेर की औक़ात गीदड़ की कहानी देख लो
नब्ज में जमता नहीं किसका है पानी देख लो
दुम दबाना सीखता जो क्या करेगा वो भला
हौसले का नाम ही होता जवानी देख लो।
3.
समंदर भी गमों के पी जो जाएँ
बहुत ही ख़ास हैं जिनकी अदाएँ
कहाँ हैं मौन ये खामोशियाँ भी
ज़रा तू देख तो…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 12, 2018 at 11:00pm — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
रहेगी इश्क में बिस्मिल हमारी बेबसी कब तक
हमारा टूटना कब तक और' उनकी दिल्लगी कब तक।
सिमटकर इक परिंदा जान अपनी दे ही बैठा है
शिकारी! तू पकड़ इस पे रखेगा यूँ कसी कब तक।
यहाँ लोमड़ बने बुद्धू, चले तरकीब गीदड़ की
चलेंगी और ये बातें बताओ बे तुकी कब तक।
अवामी सोच बढ़ने पर असर झूठा हुआ इनका
ये जुमलों की अरे साहब!, लगेगी यूँ झड़ी कब तक।
बड़ा तूफ़ान आयेगा लगा…
ContinueAdded by सतविन्द्र कुमार राणा on November 11, 2018 at 10:30pm — 7 Comments
1222 1222 1222 1222
हमेशा तो नहीं होती बुरी तकरार की बातें
इसी तकरार से अक्सर निकलतीं प्यार की बातें।
नज़र मंजिल पे रक्खो तुम बढ़ाओ फिर कदम आगे
नहीं अच्छी लगा करतीं हमेेशा हार की बातें।
अँधेरे में चरागों-सा उजाला इनसे मिल जाता
गुनी जाएं तज्रिबे के सही गर सार की बातें।
अलग हैं रास्ते चाहे है मंजिल एक पर सबकी
जो ढूंढें खोट औरों में करे वो रार की…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 5, 2018 at 8:30pm — 17 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |