For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बासुदेव अग्रवाल 'नमन''s Blog – October 2016 Archive (4)

क्या तूने भी देखी कहीं दिवाली

"क्या तूने भी देखी कहीं दिवाली"



हे अबोध ! क्या तूने भी देखी कहीं दिवाली?

तमपूर्ण निशा में क्या कहीं मिली उजियाली?



मैंने तो उजियालों में उजियाले होते देखे,

विद्युत से जगमग महलों में दिये जलते देखे,

फुलझड़ियों के बीच छूटते कई अनार देखे,

खुले बाज़ारों में जगमग करती देखी दिवाली।

हे नन्हे ! क्या तुझे दिखी अँधियारों में खुशियाली?



कहकहों ठहाकों बीच गरजते हुए पटाखे सुने,

मैंने मधुर आरती बीच सुरीले मंगलगीत सुने,

ना ना बीच और और के आग्रह… Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 30, 2016 at 11:55am — 3 Comments

वागीश्वरी सवैया और कलाधर छंद

वागीश्वरी सवैया (122×7 + 12)



दया का महामन्त्र धारो मनों में,दया से सभी को लुभाते चलो।

न हो भेद दुर्भाव कैसा किसी से,सभी को गले से लगाते चलो।

दयाभूषणों से सभी प्राणियों के,मनों को सदा ही सजाते चलो।

दुखाओ मनों को न थोड़ा किसी का,दया की सुधा को बहाते चलो।



कलाधर छंद (गुरु लघु की 15 आवृति के बाद गुरु)



मोह लोभ काम क्रोध वासना समस्त त्याग, पाप भोग को मनोव्यथा बना निकालिए।

ज्ञान ध्यान दान को सजाय रोम रोम मध्य, ध्यान ध्येय पे रखें तटस्थ हो…

Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 25, 2016 at 6:30pm — 9 Comments

ग़ज़ल (अगर तुम सा मिले दुश्मन तो हसरत और हो जाती)

नहीं जो चाहते रिश्ते अदावत और हो जाती,

अमन की बात ना करते सियासत और हो जाती,



दिखाकर बुज़दिली पर तुम चुभोते पीठ में खंजर,

अगर तुम बाज़ आ जाते मोहब्बत और हो जाती।



घिनौनी हरकतें करना तुम्हारी तो सदा आदत,

बदल जाती अगर आदत तो फितरत और हो जाती।



जो दहशतगर्द हैं पाले यहाँ दहशत वो फैलाते,

इन्हें बस में जो तुम रखते शराफत और हो जाती।



नहीं कश्मीर तेरा था नहीं होगा कभी आगे,

न जाते पास 'हाकिम' के शिकायत और हो जाती।



नहीं औकात तेरी… Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 8, 2016 at 1:04pm — 5 Comments

तड़प

(श्रृंगार छंद की रचना। 16 मात्रा आदि 32 अंत 23(21) )



सजन ना प्यास अधूरी छोड़।

हमारा नाजुक दिल ना तोड़।

बहुत हम तड़पे करके याद।

एक दुखिया करती फरियाद।।



सदा तारे गिन काटी रात।

बादलों से करती थी बात।

रही मैं रोज चाँद को ताक।

कलेजा होता रहता खाक।।



मिलन रुत आई बरसों बाद।

करो मत इसको यूँ बरबाद।

गले से लगने की है चाह।

निकलती साँसों से अब आह।।



बाँह में लो निचोड़ तुम आज।

छेड़ दो रग रग के सब साज।

होंठ अब रहे… Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 2, 2016 at 7:17pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service