बात करता हूं तो बातों में मेरी तनहाई
आंसुओं की तरह आंखों में मेरी तनहाई,
मेरी दहलीज पे जलते हुए चरागों को
आंधी बन करके बुझाती है मेरी तनहाई,
बेवफाई का गिला जब भी किया है मैंने
मुस्कराती है, रुलाती है मेरी तनहाई,
मेरे हिस्से के ये इतवार इन्हें तुम ले लो
मुझे फुर्सत में सताती है मेरी तनहाई,
जिंदगी मौत की राहों पे चला करती है
आईना रोज दिखाती है मेरी तनहाई,
दुश्मनों ने तो हमें वार करके छोड…
ContinueAdded by atul kushwah on October 27, 2014 at 6:00pm — 11 Comments
खुशूबू हैं संगीत हवाएं सरगम हैं
ये आंसू की बूंद नहीं ये शबनम है.
सूरज जब भी ड्यूटी करके घर लौटा
अंधकार में डूबा सारा आलम है,
बडे—बडे तैराक डूबते देखे हैं,
बचकर रहना उसकी आंखें झेलम हैं,
तुम क्या जानो अश्क कहां से आते हैं
उनसे पूछो जिनकी आंखों में गम है,
चौराहों पर पुलिस, लोग सहमे—सहमे
लगता है ये त्योहारों का मौसम है।।
- मौलिक व अप्रकाशित
@ अतुल कुशवाह
Added by atul kushwah on October 7, 2014 at 11:30pm — 5 Comments
लगे हैं जोडने में फिर भी अक्सर टूट जाते हैं,
यहां रिश्ते निभाने में पसीने छूट जाते हैं,
भले रंगीन हैं इनमें हवाएं कैद हों लेकिन
ये गुब्बारे जरा सी देर में ही फूट जाते हैं।।
आपका हाथ थामकर मैं चल ही जाऊंगा,
अगर मना करोगे तो मचल ही जाऊंगा,
मैंने माना कि रेस कातिलों से होनी है,
मुझे यकीन है बचकर निकल ही जाऊंगा।।
आजकल ये मन मेरा जाने कहां खोने लगा
जब कभी भी गम लिखा तो ये हृदय रोने लगा,
हाथ में थामी कलम तो खुद—ब—खुद चलने…
Added by atul kushwah on October 6, 2014 at 5:30pm — 1 Comment
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