जो पहले मौत दे, फिर जिंदगानी कौन देता है
मेरे किरदार को ऐसी कहानी कौन देता है
यहां तालाब नदियां जब कई बरसों से सूखे हैं
खुदा जाने हमें पीने को पानी कौन देता है
हमारी जिंदगी ठहरी हुई इक झील है लेकिन
ये उम्मीदों के दरिया को रवानी कौन देता है
जमीं से आसमां तक का सफर हम कर चुके लेकिन
नहीं मालूम मंजिल की निशानी कौन देता है
परिंदे भी समझते हैं कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता है।।
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(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
हृदय से शुक्रगुजार हूं भाई Aazi Tamaam जी।
सादर
अदने से प्रयास को अशीषने के लिए हृदय से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी सर।
आदरणीय बसंत सर, बहुत—बहुत आभार। हौसला बढ़ जाता है। सादर
आ. अतुल जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।
सुंदर रचना के लिए सहृदय बधाई
सादर प्रणाम आदरणीय अतुल जी
आदरणीय atul kushwah जी सादर नमस्कार
बहुत बढ़िया गजल बधाई आपको
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