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Neeraj Neer's Blog – September 2015 Archive (3)

एकात्म बोध /कविता : नीरज

तेजी से घूम रहे चक्र पर
हम ठेल दिये गए हैं
किनारों की ओर
जहां
महसूस होती है सर्वाधिक
इसकी गति
ऊंची उठती है उर्मियाँ
जैसे जैसे हम बढ़ते हैं
केंद्र की ओर
सायास
स्थिरता बढ़ती जाती है
प्रशांत हो जाती है तरंगे
सत्य का बोध
अनावृत होने लगता है
अनुभव होता है एकात्म का ....
.............. नीरज कुमार नीर

Added by Neeraj Neer on September 26, 2015 at 12:37pm — 5 Comments

हिन्दी चमक रही है / गीत

भारत के अंबर पर देखो

सूर्य सी हिन्दी चमक रही है

माँ भारती के उपत्यका में

खुशबू बनकर महक रही है

 

विभिन्न प्रांतों का सेतुबंधन

सरल सर्वजन सर्वप्रिय है

दक्षिण से उत्तर पूर्व पश्चिम

दम दम दम दम दमक रही है

 

संस्कारों की वाहक हिन्दी

सभी भाषाओं में यह गंगा

प्रगति पथ पर नित आरूढ़ ये

पग नवल सोपान धर रही है

 

यूरोप अमेरिका ने माना

है यह भाषा समर्थ सक्षम

हम भारतियों के दिल में…

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Added by Neeraj Neer on September 14, 2015 at 7:59am — 6 Comments

उसकी देह अब भी मांसल है / अतुकांत कविता

सोनाली भट्टाचार्य एवं सभी तेजाब पीड़ितों के लिए 

वह एक लड़की थी

उन्नत नितंबों

पुष्ट उरोजों वाली

श्यामल घनेरे केश

बल खाते पर्वतों के बीच

लहराते

लगता बाढ़ की पगलाई नदी

मेघों के मध्य

घाटी में से गुजर रही हो

खुलकर खिलखिला कर हँसती

कई सितार एक साथ झंकृत हो उठते

उसके सपनों में आता

फिल्मी राजकुमार

जिसके साथ वह

गीत गाती झूमती नाचती

फूलों के बाग में

स्कूल कॉलेज से आती जाती

सबकी निगाहों की केंद्र बिन्दु

सबके…

Continue

Added by Neeraj Neer on September 13, 2015 at 5:17pm — 12 Comments

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